दोस्तों इस ब्लॉग पर स्वागत है आपसब का। हम सब क्लास 10 के साइंस के Acids, Bases and Salts चैप्टर का पार्टवाइज अध्ययन कर रहे हैं। इस कडी में प्रस्तुत है आज लवण(Salts) का अध्ययन। इसमें आपसब साल्ट के प्रकार, साल्ट की फैमिली, साल्ट का उपयोग आदि के बारे में डिटेल में स्टडी करेंगे। तो आइए सुरू करते हैं आज का लेसन।
लवण(Salts)
"अम्ल और क्षारक की (Nutral reaction) उदासीनीकरण अभिक्रिया से बने Solid ionic पदार्थ को लवण कहते हैं।"
Ex.
जब अम्ल और क्षारक का रिएक्शन होता है तो इस क्रिया में लवण के साथ जल(H2O) का निर्माण भी होता है।
रि. अम्ल + क्षार = लवण + जल
NaOH + HCl → NaCl + H2O
यहां NaOH एक क्षार है तथा HCl एक अम्ल है। NaCl नमक है H2O जल है। NaCl ही साधारण नमक है।इसका स्वाद नमकीन होता है।
Ex.
जब अम्ल और क्षारक का रिएक्शन होता है तो इस क्रिया में लवण के साथ जल(H2O) का निर्माण भी होता है।
रि. अम्ल + क्षार = लवण + जल
NaOH + HCl → NaCl + H2O
यहां NaOH एक क्षार है तथा HCl एक अम्ल है। NaCl नमक है H2O जल है। NaCl ही साधारण नमक है।इसका स्वाद नमकीन होता है।
लवणों का परिवार Family of Salts:
समान धनात्मक या ऋणात्मक मूलक वाले लवण समान परिवार के होते हैं ।
Ex.
NaCl तथा NaSO, NaNO3, NaCO3 आदि सोडियम परिवार के लवण हैं
क्योंकि Na सभी में मौजूद है।
समान धनात्मक या ऋणात्मक मूलक वाले लवण समान परिवार के होते हैं ।
Ex.
NaCl तथा NaSO, NaNO3, NaCO3 आदि सोडियम परिवार के लवण हैं
क्योंकि Na सभी में मौजूद है।
इसी तरह NaCl, KCI, Mgcl, आदि क्लोराइड लवण परिवार के हैं।
लवणों के गुण (Properties of salts):
लवणों के गुण निम्नलिखित हैं-
1.आयनिक यौगिक होने के कारण गलित तथा जलीय अवस्था में इनमें विद्युत प्रवाह होता है।
2. लवण जल में घुलनशील होते हैं।
3. ये कठोर होते हैं।
4. इनका रंग सफेद, भूरा, नीला, ग्रे आदि होता है।
5. इनका स्वाद नमकीन और कसैला होता है।
6. ये भंगुर होते हैं।
7. प्रकृति अवस्था में लवण अवाष्पशील होते हैं।
8. लवण क्रिस्टलीय ठोस होते हैं।
9. लवणों का गलनाक(Melting Point) 801°C (1474 °F) होता है।
10. इनमें 520 जूल/ग्राम की संलयन ऊष्मा होती है।
11. लवण, क्वथनांक तापमान को बढ़ाता है।
12. लवण का क्वथनाक 100.04 °C होता है।
1.आयनिक यौगिक होने के कारण गलित तथा जलीय अवस्था में इनमें विद्युत प्रवाह होता है।
2. लवण जल में घुलनशील होते हैं।
3. ये कठोर होते हैं।
4. इनका रंग सफेद, भूरा, नीला, ग्रे आदि होता है।
5. इनका स्वाद नमकीन और कसैला होता है।
6. ये भंगुर होते हैं।
7. प्रकृति अवस्था में लवण अवाष्पशील होते हैं।
8. लवण क्रिस्टलीय ठोस होते हैं।
9. लवणों का गलनाक(Melting Point) 801°C (1474 °F) होता है।
10. इनमें 520 जूल/ग्राम की संलयन ऊष्मा होती है।
11. लवण, क्वथनांक तापमान को बढ़ाता है।
12. लवण का क्वथनाक 100.04 °C होता है।
प्राप्ति स्थान (Sources):
1. समुद्र में।
2. भूपर्पपट्टी में।
3. रासायनिक यौगिक में।
4. प्राकृतिक मुक्त अवस्था में।
5. चट्टानों में।
लवणों के उपयोग (Uses of Salts):
1. इससे अनेक प्रकार के रासायनिक यौगिक बनाए जाते हैं।
2. इनका स्वाद नमकीन होता है।
3. ये जल में विलेय होते हैं।
4. इनमें अम्ल और क्षार दोनों योगिक आते हैं।
5. ये विरंजक चूर्ण बनाने में खूब लोकप्रिय हैं।
6. जिप्सम बनाने के लिए इसका प्रयोग होता है।
7. खाने में।
8. खाने का सोडा वाने में।
9. प्लास्टर ऑफ पेरिस बनानें में।
10. आयुर्वेद में।
11. कृषि कार्य में।
इस प्रकार लवण हमारे जीवन में अनेक तरह से प्रयुक्त होते हैं। इनके अनेकानेक उपयोग एवं प्रकारों का अध्ययन निम्नवत है।
1. समुद्र में।
2. भूपर्पपट्टी में।
3. रासायनिक यौगिक में।
4. प्राकृतिक मुक्त अवस्था में।
5. चट्टानों में।
लवणों के उपयोग (Uses of Salts):
1. इससे अनेक प्रकार के रासायनिक यौगिक बनाए जाते हैं।
2. इनका स्वाद नमकीन होता है।
3. ये जल में विलेय होते हैं।
4. इनमें अम्ल और क्षार दोनों योगिक आते हैं।
5. ये विरंजक चूर्ण बनाने में खूब लोकप्रिय हैं।
6. जिप्सम बनाने के लिए इसका प्रयोग होता है।
7. खाने में।
8. खाने का सोडा वाने में।
9. प्लास्टर ऑफ पेरिस बनानें में।
10. आयुर्वेद में।
11. कृषि कार्य में।
इस प्रकार लवण हमारे जीवन में अनेक तरह से प्रयुक्त होते हैं। इनके अनेकानेक उपयोग एवं प्रकारों का अध्ययन निम्नवत है।
लवण के प्रकार:
सामान्य नमक (Normal Salt) : अम्ल परमाणु के धात्विक तत्वो द्वारा हाइड्रोजन परमाणुओं के पूर्ण रूप से प्रतिस्थापित होने से साधारण नमक बनते हैं।
Re. NaOH + HCl → NaCl + H2O
Ex. KCl, NaCl, FeSO4, Na2SO4, FeCl2 आदि सामान्य लवण हैं।
सामान्य लवण के परमाणु में प्रतिस्थापित योग्य H- अणु शामिल नहीं होते हैं।
लवणों के विभिन्न प्रकार निम्नवत हैं-
1. अम्लीय लवण (Acidic Salt): प्रबल अम्ल और कमजोर क्षार के उदासीनीकरण से निर्मित लवण को अम्लीय लवण कहा जाता है।
इसका जलीय घोल नीले लिटमस को लाल कर देता है।
Ex.
FeCI3, ZnCl2, HgCl2, Fe2 (S04) 3, HgS04, NH4Cl, CuSO4 आदि अम्लीय लवण हैं।
2. क्षारीय लवण (Basic Salt): वे लवण जो अपने परमाणु में 02- अथवा OH- समूह रखते है वे क्षारीय लवण कहलाते हैं।
Re. NH4OH + HCl → NH4Cl + H2O
Ex.
Mg (OH) Cl, [Mg(OH) 2। MgC03], [Cu (OH) 2.CuCO3) आदि क्षारीय लवण होते हैं
3. क्षारक लवण (Alkaline Salt) : वे लवण जो दुर्बल अम्ल और प्रबल क्षार के उदासीनीकरण द्वारा निर्मित होते है उन्हें क्षारक लवण कहते हैं।
Re. 2NaOH + H2CO3 → Na2CO3 + 2H2O
इनका जलीय घोल लाल लिटमस को नीला कर देता है।Ex. Na2CO3, CH3COONa, Na2C2O4, Na2B4O7.10 H2O आदि क्षारक लवण हैं।
4. उदासीन लवण (Neutral Salt): प्रबल अम्ल और प्रबल क्षार के उदासीनीकरण द्वारा बने लवण उदासीन लवण कहलाते हैं।
Re. NaOH + HCl → NaCl + H2O
इनका जलीय घोल लिटमस के लिए उदासीन होता है। Ex.
NaCl, KCl, K2S04, NaN03, KCl03, KClO4 आदि क्षारक लवण हैं।
5. द्विक लवण (Double Salt) : दो प्रकार के लवणो से मिलकर बने यौगिक को द्विक लवण कहते हैं।
Ex.
पोटाश फिटकिरी [K2S04. Al2(S04)3.24H20],
मोर लवण [FeS04.(NH4)2S04.6H20],
फेरस फिटकिरी [K2S04.Fe2 (SO4)3.24H20]
ये सभी द्विक लवण हैं।
ये जल में विघटित होने पर धातु आयनों के दो प्रकार देते हैं।
सामान्य नमक (Normal Salt) : अम्ल परमाणु के धात्विक तत्वो द्वारा हाइड्रोजन परमाणुओं के पूर्ण रूप से प्रतिस्थापित होने से साधारण नमक बनते हैं।
Re. NaOH + HCl → NaCl + H2O
Ex. KCl, NaCl, FeSO4, Na2SO4, FeCl2 आदि सामान्य लवण हैं।
सामान्य लवण के परमाणु में प्रतिस्थापित योग्य H- अणु शामिल नहीं होते हैं।
लवणों के विभिन्न प्रकार निम्नवत हैं-
1. अम्लीय लवण (Acidic Salt): प्रबल अम्ल और कमजोर क्षार के उदासीनीकरण से निर्मित लवण को अम्लीय लवण कहा जाता है।
इसका जलीय घोल नीले लिटमस को लाल कर देता है।
Ex.
FeCI3, ZnCl2, HgCl2, Fe2 (S04) 3, HgS04, NH4Cl, CuSO4 आदि अम्लीय लवण हैं।
2. क्षारीय लवण (Basic Salt): वे लवण जो अपने परमाणु में 02- अथवा OH- समूह रखते है वे क्षारीय लवण कहलाते हैं।
Re. NH4OH + HCl → NH4Cl + H2O
Ex.
Mg (OH) Cl, [Mg(OH) 2। MgC03], [Cu (OH) 2.CuCO3) आदि क्षारीय लवण होते हैं
3. क्षारक लवण (Alkaline Salt) : वे लवण जो दुर्बल अम्ल और प्रबल क्षार के उदासीनीकरण द्वारा निर्मित होते है उन्हें क्षारक लवण कहते हैं।
Re. 2NaOH + H2CO3 → Na2CO3 + 2H2O
इनका जलीय घोल लाल लिटमस को नीला कर देता है।Ex. Na2CO3, CH3COONa, Na2C2O4, Na2B4O7.10 H2O आदि क्षारक लवण हैं।
4. उदासीन लवण (Neutral Salt): प्रबल अम्ल और प्रबल क्षार के उदासीनीकरण द्वारा बने लवण उदासीन लवण कहलाते हैं।
Re. NaOH + HCl → NaCl + H2O
इनका जलीय घोल लिटमस के लिए उदासीन होता है। Ex.
NaCl, KCl, K2S04, NaN03, KCl03, KClO4 आदि क्षारक लवण हैं।
5. द्विक लवण (Double Salt) : दो प्रकार के लवणो से मिलकर बने यौगिक को द्विक लवण कहते हैं।
Ex.
पोटाश फिटकिरी [K2S04. Al2(S04)3.24H20],
मोर लवण [FeS04.(NH4)2S04.6H20],
फेरस फिटकिरी [K2S04.Fe2 (SO4)3.24H20]
ये सभी द्विक लवण हैं।
ये जल में विघटित होने पर धातु आयनों के दो प्रकार देते हैं।
6. जटिल लवण (Complex Salt): वे लवण जो एक जटिल आयन या जटिल उदासीन अणु लेते है जिसमें एक केंद्रीय धातु आयन, उदासीन अणुओं या नकारात्मक आयनों की संख्या द्वारा घिरा रहता है।
Ex.
पोटैशियम फेरोसायनाइड (K4[Fe(CN)6]),
पोटैशियम अर्जेन्टो साइनाइड (K [Ag(CN)2])
टेट्रा एमिनो क्यूप्रिक सल्फेट ([Cu(NH3)4]SO4)
ये सभी जटिल लवण हैं।
साधारण नमक का यौगिक (Compounds of simple Salt):
साधारण नमक के Compounds हाड्रोक्लोरिक एसिड तथा सोडियम हैड्रॉक्साइड है। इनके संयोंग से साधारण नमक बनता है
इसे हम खाते हैं अतः इसे खाने का नमक भी कहते हैं। इसका रासायनिक नाम सोडियम क्लोराइड NaCl है।
इसे हम खाते हैं अतः इसे खाने का नमक भी कहते हैं। इसका रासायनिक नाम सोडियम क्लोराइड NaCl है।
1. कास्टिक सोडा (caustic soda):
सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन में विद्युत प्रभाव उत्पन्न करने पर यह टूटकर सोडियम हैड्रॉक्साइड प्रोड्यूस करता है।
कास्टिक सोडा के उपयोग (Uses of Caustic soda):
कास्टिक सोडा के निम्नलिखित उपयोग है।
1. इसका प्रयोग साबुनों तथा अपमार्जको को बनाने में होता है ।
2. पेपर उद्दोग में कागज़ निर्माण कार्य में।
3. लेदर कारखानों में लेदर की साफ-सफाई आदि में।
4.विरंजक के लिए।
2. विरंजक चूर्ण (Bleaching Powder):
यह कास्टिक सोडा का ही यौगिक होता है। इसका रासायनिक नाम- 'कैल्शियम क्लोरो हाइपोक्लोराइट' होता है।
औद्योगिकरण में इसे ब्लीचिंग पाउडर के नाम से जाना जाता है।
निर्माण (Formation):
शुष्क बुझा हुआ चूना पर क्लोरीन की क्रिया से विरंजक चूर्ण का उत्पादन होता है।
Re. CaO + 2Cl = CaOCl2
अणु सूत्र- CaOCl2
अणु भार-127
इसके और नाम भी हैं जैसे-
क्लोराईट ऑफ लाइम.
क्लोरोनेटेड लाइम.
उपयोग
1. विरंजक चूर्ण का प्रयोग विभिन्न पदार्थों का रंग उड़ाने (विरंजन) में होता है।
2. ऑक्सीकारक के रूप में तथा चीनी को सफेद करने में।
3. जल के शुद्धिकरण में।
4.जीवाणुनाशक के रूप में।
5. क्लोरोफॉर्म के निर्माण में, ऐल्कोहॉल या ऐसीटोन के साथ जल की उपस्थिति में, क्रिया द्वार।
6. ऊन को सिकुड़ने से बचाने के लिए।
3. बेकिंग सोडा (Baking Soda):
प्रयोगशाला में अमोनिया, सोडियम क्लोराइड और जल की अभिक्रिया द्वारा बेकिंग सोडा का निर्माण किया जाता है।
NaCl + H2O + CO2 + NH3 = NH4Cl + NaHCO3
इसका रासायनिक नाम - सोडियम बाइकार्बोनेट या सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट है।
इसे सामान्यतः खाने का सोडा के नाम से जाना जाता है।
अणु सूत्र NaHCO3
अणु भार 84
उपयोग (Uses):
सोडियम बाइकार्बोनेट के उपयोग निम्नलिखित हैं-
1. आमाशय ( पेट ) की अम्लता को दूर करने में।
2. प्रतिअम्ल ( Antiacid ) के रूप में।
3. अग्निशामक यन्त्रों में। (इसमें मुक्त CO , अग्नि तथा वायु के मध्य अवरोध पैदा करती है जिस से आग बुझाने में सहायता मिलती है।)
4. बेकिंग पाउडर के निर्माण में।
5. झागयुक्त पेय पदार्थों के निर्माण में
6. परिवार नियोजन गोलियों के निर्माण में।
7. कच्चे दूध को फटने से बचाने के लिए।
8. प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में।
4. धावन सोडा (washing soda)
प्रयोगशाला में यह सोडियम बाइ कार्बोनेट के पुनः क्रिस्टलीकरण से बनाया जाता है। धावन सोडा एक क्षारीय लवण है।
Re. 2NaHCO3 = Na2CO3 + CO2 + H2O
Na2CO3 + 10H2O = Na2CO3.10H2O
रासायनिक नाम- सोडियम कार्बोनेट डेकाहाइड्रेट
सामान्य नाम- धावन सोडा
अणु सुत्र- Na2CO3.10H2O
अणु भार-286
इसे क्रिस्टलीय सोडियम कार्बोनेट भी कहते हैं।
उपयोग (Uses):
धावन सोडा के प्रमुख उपयोग निम्नलिखित है
1. जल की कठोरता दूर करने में।
2. आग बुझाने वाले यन्त्रों में।
3. प्रयोगशाला अभिकर्मक के रूप में।
4. काँच के बर्तनों की चिकनाई दूर करने में।
5. काँच, कागज तथा बोरेक्स उद्योग में।
6. पेट्रोलियम शोधन तथा धातु शोधन में।
7. धातु कार्बोनेटों के निर्माण में ।
8. वस्त्र धुलाई के लिए अपमार्जक ( Detergent ) के निर्माण में।
9. बेकिंग पाउडर के निर्माण में।
10. पेन्ट, रंजक ( Dyes ) एवं सुहागा के निर्माण में।
5. प्लास्टर ऑफ पेरिस (Plaster of Paris):
प्रयोगशाला में कैल्सियम सल्फेट डाइहाइड्रेट (Gypsum) को 120°C ताप पर गर्म करके बनाया जाता है। इस क्रिया में जिप्सम का निर्जलीकरण होता है जिससे प्लास्टर ऑफ पेरिस का निर्माण होता है।
Re.
CaSO4.2H2O गर्म = CaSO4 + 2H2O.
रासायनिक नाम- कैल्सियम सल्फेट हेमिहाइड्रेट
सामान्य नाम - प्लास्टर ऑफ पेरिस
अणु सूत्र -CaSO4
अणु भार-136.134
उपयोग (Uses):
प्लास्टर ऑफ पेरिस के उपयोग निम्नलिखित हैं
1. टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने व सीधा करने के लिए प्लास्टर चढ़ाने में इसका प्रयोग बहुत किया जाता है।
2. अग्निरोधक पदार्थ के रूप में भी यह प्रयुक्त किया जाता है ।
3. इसका उपयोग दन्त चिकित्सा में किया जाता है।
4. सड़क, मार्ग पर डिवाइडर बनाने में।
सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन में विद्युत प्रभाव उत्पन्न करने पर यह टूटकर सोडियम हैड्रॉक्साइड प्रोड्यूस करता है।
कास्टिक सोडा के उपयोग (Uses of Caustic soda):
कास्टिक सोडा के निम्नलिखित उपयोग है।
1. इसका प्रयोग साबुनों तथा अपमार्जको को बनाने में होता है ।
2. पेपर उद्दोग में कागज़ निर्माण कार्य में।
3. लेदर कारखानों में लेदर की साफ-सफाई आदि में।
4.विरंजक के लिए।
2. विरंजक चूर्ण (Bleaching Powder):
यह कास्टिक सोडा का ही यौगिक होता है। इसका रासायनिक नाम- 'कैल्शियम क्लोरो हाइपोक्लोराइट' होता है।
औद्योगिकरण में इसे ब्लीचिंग पाउडर के नाम से जाना जाता है।
निर्माण (Formation):
शुष्क बुझा हुआ चूना पर क्लोरीन की क्रिया से विरंजक चूर्ण का उत्पादन होता है।
Re. CaO + 2Cl = CaOCl2
अणु सूत्र- CaOCl2
अणु भार-127
इसके और नाम भी हैं जैसे-
क्लोराईट ऑफ लाइम.
क्लोरोनेटेड लाइम.
उपयोग
1. विरंजक चूर्ण का प्रयोग विभिन्न पदार्थों का रंग उड़ाने (विरंजन) में होता है।
2. ऑक्सीकारक के रूप में तथा चीनी को सफेद करने में।
3. जल के शुद्धिकरण में।
4.जीवाणुनाशक के रूप में।
5. क्लोरोफॉर्म के निर्माण में, ऐल्कोहॉल या ऐसीटोन के साथ जल की उपस्थिति में, क्रिया द्वार।
6. ऊन को सिकुड़ने से बचाने के लिए।
3. बेकिंग सोडा (Baking Soda):
प्रयोगशाला में अमोनिया, सोडियम क्लोराइड और जल की अभिक्रिया द्वारा बेकिंग सोडा का निर्माण किया जाता है।
NaCl + H2O + CO2 + NH3 = NH4Cl + NaHCO3
इसका रासायनिक नाम - सोडियम बाइकार्बोनेट या सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट है।
इसे सामान्यतः खाने का सोडा के नाम से जाना जाता है।
अणु सूत्र NaHCO3
अणु भार 84
उपयोग (Uses):
सोडियम बाइकार्बोनेट के उपयोग निम्नलिखित हैं-
1. आमाशय ( पेट ) की अम्लता को दूर करने में।
2. प्रतिअम्ल ( Antiacid ) के रूप में।
3. अग्निशामक यन्त्रों में। (इसमें मुक्त CO , अग्नि तथा वायु के मध्य अवरोध पैदा करती है जिस से आग बुझाने में सहायता मिलती है।)
4. बेकिंग पाउडर के निर्माण में।
5. झागयुक्त पेय पदार्थों के निर्माण में
6. परिवार नियोजन गोलियों के निर्माण में।
7. कच्चे दूध को फटने से बचाने के लिए।
8. प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में।
4. धावन सोडा (washing soda)
प्रयोगशाला में यह सोडियम बाइ कार्बोनेट के पुनः क्रिस्टलीकरण से बनाया जाता है। धावन सोडा एक क्षारीय लवण है।
Re. 2NaHCO3 = Na2CO3 + CO2 + H2O
Na2CO3 + 10H2O = Na2CO3.10H2O
रासायनिक नाम- सोडियम कार्बोनेट डेकाहाइड्रेट
सामान्य नाम- धावन सोडा
अणु सुत्र- Na2CO3.10H2O
अणु भार-286
इसे क्रिस्टलीय सोडियम कार्बोनेट भी कहते हैं।
उपयोग (Uses):
धावन सोडा के प्रमुख उपयोग निम्नलिखित है
1. जल की कठोरता दूर करने में।
2. आग बुझाने वाले यन्त्रों में।
3. प्रयोगशाला अभिकर्मक के रूप में।
4. काँच के बर्तनों की चिकनाई दूर करने में।
5. काँच, कागज तथा बोरेक्स उद्योग में।
6. पेट्रोलियम शोधन तथा धातु शोधन में।
7. धातु कार्बोनेटों के निर्माण में ।
8. वस्त्र धुलाई के लिए अपमार्जक ( Detergent ) के निर्माण में।
9. बेकिंग पाउडर के निर्माण में।
10. पेन्ट, रंजक ( Dyes ) एवं सुहागा के निर्माण में।
5. प्लास्टर ऑफ पेरिस (Plaster of Paris):
प्रयोगशाला में कैल्सियम सल्फेट डाइहाइड्रेट (Gypsum) को 120°C ताप पर गर्म करके बनाया जाता है। इस क्रिया में जिप्सम का निर्जलीकरण होता है जिससे प्लास्टर ऑफ पेरिस का निर्माण होता है।
Re.
CaSO4.2H2O गर्म = CaSO4 + 2H2O.
रासायनिक नाम- कैल्सियम सल्फेट हेमिहाइड्रेट
सामान्य नाम - प्लास्टर ऑफ पेरिस
अणु सूत्र -CaSO4
अणु भार-136.134
उपयोग (Uses):
प्लास्टर ऑफ पेरिस के उपयोग निम्नलिखित हैं
1. टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने व सीधा करने के लिए प्लास्टर चढ़ाने में इसका प्रयोग बहुत किया जाता है।
2. अग्निरोधक पदार्थ के रूप में भी यह प्रयुक्त किया जाता है ।
3. इसका उपयोग दन्त चिकित्सा में किया जाता है।
4. सड़क, मार्ग पर डिवाइडर बनाने में।
5. सजावटी सामान बनाने में।
6. मूर्तियाँ व खिलौनों के निर्माण में।
7. दीवारों को चिकना बनाने (POP) में।
8. दीवारों पर डिजाइन कार्य करने में।
6. मूर्तियाँ व खिलौनों के निर्माण में।
7. दीवारों को चिकना बनाने (POP) में।
8. दीवारों पर डिजाइन कार्य करने में।
दोस्तो अब आप जान चुके होंगे कि लवण क्या होते हैं। इनके गुण क्या होते हैं। इस तरह आप इनके अन्य भागो को निम्न लिंक पर जाकर अवश्य पढ़।
यह लेख पसन्द आए तो शेयर कीजिए।
धन्यवाद।
Read more Salts का अध्ययन
FAQ
Qua. CaOCl2 यौगिक का प्रचलित नाम क्या है?
Ans. CaOCl2 यौगिक का प्रचलित नाम विरंजक चूर्ण है।
Qua. कठोर जल को मृदु करने के लिए किस सोडियम यौगिक का उपयोग किया जाता है?
Ans. सोडियम कार्बोनेट (Na2CO) का।
इसे धावन सोडा भी कहा जाता है।
Qua. एसिडिटी के उपचार के लिए किस औषधि का उपयोग किया जाता है?
(a) एंटीबायोटिक (प्रतिजैविक)
(b) ऐनालजेसिक (पीड़ाहारी)
(C) ऐन्टएसिड
(d) एंटीसेप्टिक (प्रतिरोधी)
Ans. (C) ऐन्टएसिड
Qua.लवण कौन से तत्व हैं?
Ans. रासायनिक रूप से, टेबल नमक में दो तत्व होते हैं, सोडियम (Na) और क्लोराइड (Cl) ।
Qua. जल की अनुपस्थिति में अम्ल का व्यवहार अम्लीय क्यों नहीं होता है?
Ans. जल की अनुपस्थिति में अम्लों से H+ आयन पृथक नहीं हो पाते हैं, इसलिए अम्ल का व्यवहार अम्लीय नहीं होता है। केवल जल की उपस्थिति में ही H+ आयन अलग हो पाते हैं तथा अम्लीय अभिलक्षण दर्शाने के लिए आयनों का बनना जरूरी होता है।
Qua. ताजे दूध के pH का मान 6 होता है। दही बन जाने पर इसके pH के मान में क्या परिवर्तन होगा?
Ans. दूध से दही बनने की प्रक्रिया में लैक्टिक अम्ल का निर्माण होता है, जिसके कारण इसका pH: 6 से कम हो जाएगा।
Ans. CaOCl2 यौगिक का प्रचलित नाम विरंजक चूर्ण है।
Qua. कठोर जल को मृदु करने के लिए किस सोडियम यौगिक का उपयोग किया जाता है?
Ans. सोडियम कार्बोनेट (Na2CO) का।
इसे धावन सोडा भी कहा जाता है।
Qua. एसिडिटी के उपचार के लिए किस औषधि का उपयोग किया जाता है?
(a) एंटीबायोटिक (प्रतिजैविक)
(b) ऐनालजेसिक (पीड़ाहारी)
(C) ऐन्टएसिड
(d) एंटीसेप्टिक (प्रतिरोधी)
Ans. (C) ऐन्टएसिड
Qua.लवण कौन से तत्व हैं?
Ans. रासायनिक रूप से, टेबल नमक में दो तत्व होते हैं, सोडियम (Na) और क्लोराइड (Cl) ।
Qua. जल की अनुपस्थिति में अम्ल का व्यवहार अम्लीय क्यों नहीं होता है?
Ans. जल की अनुपस्थिति में अम्लों से H+ आयन पृथक नहीं हो पाते हैं, इसलिए अम्ल का व्यवहार अम्लीय नहीं होता है। केवल जल की उपस्थिति में ही H+ आयन अलग हो पाते हैं तथा अम्लीय अभिलक्षण दर्शाने के लिए आयनों का बनना जरूरी होता है।
Qua. ताजे दूध के pH का मान 6 होता है। दही बन जाने पर इसके pH के मान में क्या परिवर्तन होगा?
Ans. दूध से दही बनने की प्रक्रिया में लैक्टिक अम्ल का निर्माण होता है, जिसके कारण इसका pH: 6 से कम हो जाएगा।

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