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May 26, 2023

Difference between mixture and Compounds in hindi

जब भिन्न भिन्न तत्त्वों के दो या दो से अधिक परमाणु एक निश्चित अनुपात में संयुक्त होकर जुड़ते हैं तो इस रासायनिक अभिक्रिया से एक अणु प्राप्त होता है जिसे रासायनिक यौगिक कहते हैं। इनमें कुछ को उनके प्रारंभिक घटकों में तोड़ा जा सकता है किन्तु कुछ को नहीं तोड़ा जा सकता है। जिनको नही तोड़ा जा सकता उन्हे जटिल यौगिक कहते हैं। नये पदार्थ बनने के उपरांत इनके नाम भी चेंज हो जाते हैं लेकिन अपने मूल नाम से एकदम अलग नही होते। जब रााासायनि पैमाने पर इनको मिलाया जाता है तो इन्हे मिश्रण कहते है। 

Difference between mixture and Compounds in hindi


मिश्रण एंव यौगिक में अंतर तथा इसके प्रकार-

यौगिक:  जब दो या दो से अधिक पदार्थ निश्चित अनुपात में एक साथ मिलाते हैं तो जो नया substance बनता है वह यौगिक कहलाता है।
यौगिक बनाने के लिए तत्वों का रिएक्शन कराना पड़ता  है । तत्वों को रिएक्ट कराने के अनेक तरीके हैं। इन तरीकों का प्रोसेस अलग- अलग होता है। 

मिश्रण: 

जब दो या दो से अधिक तत्वों को अनिश्चित अनुपात में मिलाया जाता है तो जो सलुशन प्राप्त होता है वह मिश्रण कहलाता है। 
मिश्रण में तत्व का अनुपात निश्चित नहीं होता है । मिश्रण को यौगिक की तुलना में आसानी से अलग किया जा सकता है। क्योंकि इसको अलग करने का बहुत ही सरल तरीके हैं। 

समांगी मिश्रण (Homogeneous mixture):

वह मिश्रण जिसका संगठन सभी जगह समान हो, जो पूर्णतः मिक्स हो समांगी मिश्रण कहलाता है। 
इस विलयन के विभिन्न अवयव अलग-अलग नहीं दिखाई देते हैं।
Ex. नमक का जलीय विलयन, कार्बन डाइऑक्साइड में सल्फर, चीनी और जल का मिश्रण आदि।

विसमांगी मिश्रण (Heterogeneous mixture):

जिस मिश्रण के विभिन्न-विभिन्न भागों का संघटन एक-दूसरे से भिन्न होता है। उसे विषमांगी मिश्रण कहते हैं। 
Ex.
जल और तेल का मिश्रण एक विषमांगी मिश्रण है।


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मिश्रण एंव यौगिक के प्रकार :

यौगिक दो प्रकार के होते हैं:
1. अकार्बनिक यौगिक
2. कार्बनिक यौगिक

अकार्बनिक यौगिक : ये वे रासायनिक यौगिक होते हैं जिनमें कार्बन नहीं पाया जाता है।
इस कारण इनमें कार्बन बन्ध का आभाव होता है।

Ex. H2O, H2SO4, Na2SO4, Al2SO4, Kcl etc.

ऑक्साइड(छारक) : इसे बनाने के लिए धातु और ऑक्सीजन को एक साथ संयुक्त किया जाता है। यह स्वाभाविक एंव औधोगिक रूप से बनया जाता है। 
Ex. NaOH, KOH, MgCO3, NaCO3, ZnOH

एसिड (अम्ल): इसका अणु हाइड्रोजन से शुरू होता है । इसे भी निम्न प्रकार से विभाजन किया जाता है।
Ex. H2SO4, Al2SO4, K2SO4, Na2SO4 etc.


हाइड्रोजन और अन्य प्रकार के धातु से बने हाइड्रो एसिड्स, तथा ऑक्साइड्स जो तैयार होता है । वह एक हाइड्रोजाइड प्लस ऑक्सीजन होता है।

लवण (साल्ट): जब अम्लों को, किसी हाइड्रोजन के धातु द्वारा प्रतिस्थापन किया जाता है तो लवण प्राप्त होता है। यदि लवण बनने की बात आती है। 
Ex. NaCl, NH4Cl, Al2Cl etc.

पानी: इसका उपयोग मानव दैनिक जीवन में होता है।उद्योग एंव अनेक तरह के कामों में इसका उपयोग किया जाता है।


कार्बनिक यौगिक : यह कार्बन के द्वारा बना यौगिक होता है। इसलिए कार्बन के यौगिक को कार्बनिक यौगिक कहा जाता है।
ज्यादातर कार्बनिक यौगिक में हाइड्रोजन, ऑक्सीजन तथा विभिन्न प्रकार के तत्व पाये जाते हैं। कार्बन यौगिक हमेशा सहसंयोजक बंध द्वारा जुड़े रहते हैं।
CH4, C2H6, C3H8, COOH, CH3COOH, C2H5COOH, C2H5OH etc.

कार्बनिक यौगिक का Melting Point और Boiling Point बहुत कम रहता है। इस कारण कार्बनिक यौगिक विधुत के कुचालक होते हैं। ये सभी प्रकार के जीवित प्राणी में पाये जाते हैं। इन्हें कृतिम विधि द्वारा निकाला जा सकता है।

मिश्रण पृथक्करण का तरीका:

मिश्रण पृथक्क़रण के निम्लिखित तरीके हैं। इनका उल्लेख निचे किया गया है-

1. छानना (फिल्टरिंग): इस तरीके द्वारा बहुत ही आसानी से मिश्रण को Filter किया जा सकता है। इस प्रक्रिया द्वारा अघुलनशील ठोस पदार्थ को अलग किया जाता है। Ex. पानी एंव रेत, चाय पत्ती और चाय, खर पतवार और गन्ने का रस आदि।
इसमें अलग करने के लिए एक फ़िल्टर द्वारा मिश्रण को गुजारा जाता है। जिसमे सूक्षम पदार्थ आगे निकल जाता है । जबकि मोटे पदार्थ उसमें अटक जाते हैं। 

2. वाष्पीकरण :  इस तरीके के द्वारा समाग मिश्रण को अलग किया जाता है।
इसमें घोल को गर्म किया जाता है। पानी वाष्प बनकर ऊपर उण जाता है और दूसरा पदार्थ बर्तन में रह जाता है।
Ex. चीनी और पानी का घोल, गन्ने का रस और गुण, खोया और दूध।

3. आसवन :  इस प्रकार के विधि द्वारा पानी एंव स्याही को अलग किया जा सकता है ।

4. क्रोमैटोग्राफी: इस विधि द्वारा विघटित पदार्थो को अलग किया जाता है । इससे रंग तथा स्याही को अलग किया जाता है। 


निष्कर्ष : 
दोस्तों इस पोस्ट में यौगिक, मिश्रण तथा यौगिक के प्रकार , लवण की व्याख्या, तथा मिश्रण पृथकरण करने का तरीका इत्यादि के बारे में जानकारी देने की कोशिस की गई है। ये पाठ्यक्रम के सिलेबस और प्रतियोगितात्मक इक्जाम्स दोनो के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। 

धन्यवाद। 


FAQ

Qua. पदार्थ क्या है?
Ans.जिन्हे हम छू सके, फील कर सके अथवा देख सके और जिनका द्रव्यमान हो वे पदार्थ कहलाते हैं। 

Qua. कितने पदार्थ से मिश्रण निर्मित होता है?
Ans. दो पदार्थो से मिश्रण का निर्माण होता है।

Qua. दूध क्या है?
Ans. दूध, एक प्रकार का मिश्रण है।
Qua. पानी तथा चीनी के मिश्रण को किस विधि से अलग करते हैं?
Ans. वाष्पीकरण विधि से। 

Qua. मिक्सचर को हिंदी में क्या बोलते हैं?
Ans. द्रवों, ठोस और गैसों के आपस में मिलाने की क्रिया तथा इस प्रकार उत्पन्न पदार्थों को कहते हैं।





Apr 2, 2023

Indicator in chemistry | रसायनिक यौगिक के सूचक

रसायन शास्त्र में बहुतायत यौगिक ऐसे हैं जिनके रंग और गुण एकसमान प्रतीत होते हैं। अनेक यौगिक तो ऐसे हैं जो एक से गुण रखते हुए भी भिन्न-भिन्न होते हैं। रसायनिक यौगिक को उनके गुणों और रंगो के आधार पर पहचान करना संभव नहीं है इसलिए इन्हे रासायनिक क्रियाओं द्वारा पहचाना जाता है। सभी यौगिको को रासायनिक क्रियाओं द्वारा वेरीफाई करना संभव नही है क्योकि ये प्रोसेस लम्बी है अतः कुछ ऐसे रसायन डेवलप किए गए हैं जिन्हे बहुत थोड़ा सा (जिस यौगिक की पहचान करनी है) मेें एड करते हैं तो पता चल जाता है कि वह कौन सा यौगिक है। यौगिको की पहचान कराने वाले ये रसायन ही सूचक (Indicators) कहलाते हैं। इस कड़ी में Indicator in chemistry | रसायनिकख यौगिक के सूचक चैप्टर बहुत हेल्पफुल होगा।
Indicator in chemistry

Indicators (सूचक):

वे पदार्थ जिनका उपयोग किसी रासायनिक यौगिक के अनुमापन ( Titration) में, उदासीन बिन्दु या अन्तिम बिन्दु ( End point ) को निर्धारित करने के लिए किया जाता है , उन्हें सूचक कहते हैं।

सूचक के प्रकार-

1. प्राकृतिक सूचक (Natural Indicator) 

2. संश्लेषित सूचक (Synthetic Indicator)
  
3. गंध युक्त सूचक (Olfactory Indicator)

4. अम्लीय सूचक (Acidic Indicator)

5. क्षारीय सूचक (Basdic Indicator)

6. सार्वत्रिक सूचक (Universal Indicator)

1. Natural Indicator (प्राकृतिक सूचक):

प्राकृतिक सूचक में निम्न प्रकार सूचक पदार्थ आते हैं। इनका प्रयोग बहुत कम होता है।
लिटमस, लाल पत्ता गोभी, हल्दी, वेनीला, हाइड्रेनजिया,पेटूनिया तथा जेरानियम जैसे फूलों की पत्तियाँ, आदि।
1. प्राकृतिक सूचक में लिटमस का प्रयोग अधिक होता है।
2. हल्दी का रंग क्षारकीय माध्यम में लाल - भूरा हो जाता है ।

2. Synthetic Indicator (संश्लेषित सूचक):

व्यापक स्तर पर संश्लेषित सूचक का ही प्रयोग होता है। ये प्रायः आसान और आसानी से रिस्पॉन्स होते हैं। ये निम्न हैं। 


1. मिथाइल ऑरेंज( Methoil Orenge):
1. अम्लीय माध्यम में लाल रंग और क्षारीय माध्यम में पीला रंग दर्शाता है। 
2. किसी विलयन में अम्लता में कमी हो रही है तो मिथाइल ऑरेंज लाल रंग से नारंगी और अंत में पीले रंग का हो जाता है।
3. अम्लता में वृद्धि होती है तो मिथाइल ऑरेंज ऐसे विलयन के लिए विपरीत प्रभाव उत्पन्न दिखाता है।
4. अम्ल में यह लाल तथा क्षारकीय माध्यम में यह पीला होता है।

2. फेनोल्फथेलिन (Phenolphthalein):
अम्ल-क्षार अनुमापन में सूचक की जगह यह भी बहुत प्रयोग किया जाता है। इसके प्रभाव निम्न हैं। 
1. अम्लीय विलयनों में फेनोल्फथेलिन रंगहीन हो जाता है।
2. क्षारकीय विलयनों में फेनोल्फथेलिन गुलाबी हो जाता है।
3. Phenolphthalein पानी में थोड़ा घुलनशील है। 
4. प्रयोगों में उपयोग के लिए अल्कोहल में भी घोला जाता है। 
5. यह एक दुर्बल अम्ल है, जो विलयन में H+ आयन निकालता है। 
6. गैर-आयनित फेनोल्फथेलिन अणु रंगहीन होता है। 
7. सल्फोनेशन के कारण केंद्रित सल्फ्यूरिक एसिड में फेनोल्फथेलिन आयन नारंगी लाल होता है। 
8. यह थैलिन डाई के रूप में जाने जाने वाले रंगों के वर्ग में आता है। 

3. Olfactory Indicators (गंध युक्त सूचक):

ये सूचक अपनी विशिष्ट गन्ध द्वारा अम्ल व क्षार को पहचानने में मदत करते हैं। इसीलिए ये सूचक गन्ध युक्त सूचक कहलाते हैं। इनकी गन्ध अम्लीय व क्षारकीय माध्यम में परिवर्तित हो जाती है।
 Ex. वैनिला , प्याज़ व लौंग आदि। 

4. अम्लीय सूचक (Acidic Indicator):
वे पदार्थ जिनका अम्लीय विलयन में रंग भिन्न-भिन्न होता है, अम्लीय सूचक कहलाते हैं। 

5. क्षारीय सूचक (Basdic Indicator):
वे पदार्थ जो क्षारकीय विलयन में रंग भिन्न-भिन्न होते हैं।  
क्षारीय सूचक कहलाते हैं।

6. सार्वत्रिक सूचक (Universal Indicator)
विभिन्न प्रकार के सूचकों को परस्पर एक-दूसरे में मिलाकर एक मिश्रण तैयार किया जाता है , जो हाइड्रोजन आयनों की विभिन्न सान्द्रताओं के सापेक्ष भिन्न-भिन्न रंग प्रदर्शित करता है, इसे ही सार्वत्रिक सूचक कहते हैं।

निष्कर्ष:
अम्ल-क्षार विलयन में सूचक हाइड्रोजन आयन [ H+ ] सान्द्रण अथवा हाइड्रॉक्साइड आयन [ OH- ] सान्द्रण के कारण pH मान के परिवर्तित होने की सूचना, अपने रंग को परिवर्तित कर के देते हैं। अम्ल-क्षारक अनुमापनों में सामान्यत : निम्नलिखित तीन सूचकों का प्रयोग जादा होता है 'लिटमस, मेथिल ऑरेन्ज, तथा फीनॉल्फ्थैलिन'।
इस प्रकार आपसब ने देखा कि किस प्रकार कुछ रासायनिक यौगिक या पदार्थ कैसे अन्य यौगिको कि प्रकृति बताने में उपयोगी हैं। इक्जाम्स में कुछ न कुछ प्रश्न इससे अवश्य पूछे जाते हैं अतः Indicator in chemistry | रसायनिक यौगिक के सूचक  ध्यान पूर्वक अध्ययन करें 

धन्यवाद। 

                     समबाहु त्रिभुज 
       
           

FAQ

Qua. मिथाइल ऑरेंज कैसा सूचक है?
Ans. मिथाइल ऑरेंज एक कमजोर अम्ल है जो पानी के संपर्क में आने पर नारंगी तटस्थ अणुओं में टूट जाता है।
अम्लीय परिस्थितियों में संतुलन बाईं ओर होता है।

Qua. तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल में मिथाइल ऑरेंज मिलाने पर क्या होता है?
Ans. तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल में मिथाइल ऑरेंज मिलाने पर विलयन का रंग लाल हो जाता है। 


Qua. क्या मिथाइल ऑरेंज जहरीला है?
Ans. अगर निगल लिया जाए तो यह घातक हो सकता है। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल जलन के परिणामस्वरूप मतली, उल्टी और दस्त हो सकते हैं। साँस लेना: श्वसन तंत्र में जलन पैदा कर सकता है। इस पदार्थ के विषैले गुणों का अभी गहन अध्ययन किया जाना है।

Chemistry Formulas in Hindi || रासायन शास्त्र के महत्वपूर्ण अनुलग्न

जब भिन्न भिन्न  तत्त्वों के दो या दो से अधिक परमाणु  एक निश्चित अनुपात में संयुक्त होकर जुड़ते हैं तो इस रासायनिक अभिक्रिया से एक अणु प्राप्...