In this blog you will find educational knowledge of Maths Science sub technology and so on.
Mar 31, 2023
Time and Distance Formula in Hindi | चाल दूरी समय का फार्मूला:
Mar 20, 2023
Compound Interest formula in Hindi || चक्र वृद्धि ब्याज फार्मूला
चक्रवृद्धि ब्याज | Compound Interest Formula:
चक्रवृद्धि ब्याज का सूत्र
Compound Interest के महत्वपूर्ण फार्मूले÷
1. चक्रवृद्धि ब्याज = (1 + R / 100 ) T – मूलधन
2. चक्रवृद्धि ब्याज = मूलधन (1 + दर / 100)T – 1]
3. चक्रवृद्धि ब्याज = मिश्रधन – मूलधन
4. मूलधन = साधारण ब्याज × 100 / समय × ब्याज की दर
5. मिश्रधन = मूलधन + साधरण ब्याज
6. समय = साधरण ब्याज × 100 / मूलधन × ब्याज की दर
7. ब्याज की दर = साधरण ब्याज × 100 / मूलधन × समय
कुछ महत्वपूर्ण तथ्य-
1.कही से भी ऋण/उधार लिया गया धन मूलधन कहलाता है।
2. किसी व्यक्ति या बैंक से ऋण देने वाला त्रणदाता या साहूकार कहलाता हैं।
3. मूलधन और ब्याज के सम्मिलित रूप को मिश्रधन कहा जाता है.
4.जिस अवधि तक ऋण लिया जाता है, वह समय कहलाता है.
5. किसी धन पर जिस दर से ब्याज लिया जाता है, उसे ब्याज दर कहा जाता है।
आवश्यक सूचना-
1. जब ब्याज छमाही संयोजित होती है,
तो r = R / 2 , n = 2T
2. ब्याज जब तिमाही संयोजित होता है,
तो r = R / 4 , n = 4T
चक्रवृद्धि ब्याज सूत्र के विभिन्न रूप ÷
चक्रवृद्धि ब्याज = (1 + दर / 100 )^समय – मूलधन
मिश्रधन = मूलधन × (1 दर / 100)^समय
चक्रवृद्धि ब्याज = मिश्रधन – मूलधन
मिश्रधन = मूलधन + ब्याज
चक्रवृद्धि ब्याज = मूलधन [(1 + दर / 100)^समय – 1]
याद करने के उपाय÷
मूलधन P = (I × 100) / R × T
ब्याज CI =P - A
मिश्रधन A = P × (100 + R)
मिश्रधन A = P + I
समय T = (I × 100) / (P × R)
ब्याज की दर R = (I × 100) / (P × T)
यहाँ:
I = Interest (ब्याज)
P = Principal (मूलधन)
R = Rate of Interest ( ब्याज दर)
CI = चक्रवृद्धि ब्याज ( Compound Interest )
Read more Units of conversion
खेत नापने के पैमाने
निश्कर्ष:
गणित मेें साधारण और चक्रवृद्धि ब्याज दोनों परस्पर कार्य करते है। दोनों का अपना विशेष महत्व है। वास्तिविकता यह है कि जब कभी ब्याज को मूलधन में जोड़कर उसका भी ब्याज प्राप्त किया जाता है उसे Compound Interest formula in Hindi से हल किया जाता है। लेन-देन में चक्रवृद्धि ब्याज का सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है। व्यक्तिगत कार्य को पूरा करने भी इसका उपयोग होता है।
उम्मीद है यह लेख आपसब को पसंद आया होगा। यदि पसंद आए तो सेयर अवश्य करें।
धन्यवाद।
FAQ
Qua. कंपाउंडिंग कैसे काम करती है?
Ans. चक्रवृद्धि ब्याज तब होता है जब आपके द्वारा बचत पर अर्जित ब्याज स्वयं पर ब्याज लगाना शुरू कर देता है।
Qua. चक्रवृद्धि ब्याज का अर्थ क्या है?
Ans. जब समय-समय पर संचित हुए ब्याज को मूलधन में ऐड कर इस मिश्रधन पर ब्याज की गणना की जाती है तो इसे चक्रवृद्धि ब्याज (compound interest) कहते हैं।
Qua. कंपाउंडिंग पावर क्या है?
Ans. कंपाउंडिंग की शक्ति आपके धन को तेजी से बढ़ाकर काम करती है। यह कमाए गए लाभ को वापस मूल राशि में जोड़ता है और फिर लाभ अर्जित करने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए पूरी राशि का पुनर्निवेश करता है।
Mar 18, 2023
साधारण ब्याज का सूत्र: Simple Interest Formula in Hindi
मूलधन (Principal) :
मिश्रधन ( Compound money):
ब्याज सहित मूलधन को मिश्रधन कहते है, इसे A से व्यक्त किया जाता है.
समय (Time):
कितने दिन स लिए गये धन को कितने दिन मेें वापस किया इस बीच की अवधि समय कहलाता है। इसे T या t से व्यक्त किया जाता है।
ब्याज ( Interest ):
मूलधन के अतिरिक्त दिए गये धन को वापस करने मे लगे समय पर जो अतिरिक्त धन दिया जाता है, उसे ब्याज कहा जाता है।
इसे I (आई) से व्यक्त किया जाता है.
ब्याज दर ( Rate of Interest):
जिस दर से अतिरिक्त धन लिया जाता है उसे ब्याज दर कहते हैं। इसे r या R से व्यक्त किया जाता है।
साधारण ब्याज का फार्मूला( Simple Interest Formula):
वर्ष में बदलने के लिए 12 भाग दें
तिमाही से वर्ष में = 4 से भाग
सप्ताह को महीने में = 4 से भाग आदि.
साधारण ब्याज = मिश्रधन – मूलधन
I= A – P
मूलधन = मिश्रधन – साधरण ब्याज
P = A – I
मूलधन = साधारण ब्याज × 100 / समय × ब्याज दर
P = (I × 100) / R × T
समय = साधरण ब्याज × 100 / मूलधन × ब्याज की दर
T = (I × 100) / (P × R)
मिश्रधन = मूलधन + साधरण ब्याज
A = P + I
मिश्रधन = मूलधन × (100 + ब्याज की दर समय)
A = P × (100 + R)
I = Interest (ब्याज)
A = Amount ( मिश्रधन)
R = Rate of Interest ( ब्याज दर)
T = Time (समय)
कोई धन एक निश्चित साधारण ब्याज की दर से 12 वर्षों में तिगुना हो जाता है, तो कितने वर्षों में वह धन 5 गुना हो जाएगा?
समय = (5 – 1) / (3 – 1) × 12 = 4 / 2 × 12 = 24 वर्ष
कोई धन 20 % वार्षिक साधारण ब्याज की दर से कितने वर्षो में 5 गुना हो जाएगा?
समय = (5 – 1) / 20 × 100 = 20 वर्ष
कोई धन 10 वर्षों में साधारण ब्याज की दर से तिगुना हो जाता है, तो ब्याज दर क्या है?
ब्याज दर = 3 – 1 / 10 × 100 = 2 × 20 = 20 %
FAQ
Qua. ब्याज कितने प्रकार के होते हैं?
Ans. ब्याज विभिन्न प्रकार के होते है. ज्यादातर प्रयोग होने वाले ब्याज इस प्रकार है।
Qua. साधारण ब्याज का सूत्र क्या होता है?
Ans. संपूर्ण ऋण अवधि में मूलधन एक ही रहे, तो राशि पर लगने वाला ब्याज साधारण ब्याज होता है. साधारण ब्याज का फार्मूला मिश्रधन – मूलधन यानि I = A – P होता है।
Qua.साधारण ब्याज की परिभाषा क्या है?
Ans. ब्याज जब केवल मूलधन पर एक निश्चित समय के लिए एक ही दर पर लगाया जाता हैं, तो उसे साधारण ब्याज कहते हैं।
Qua. मूलधन + ब्याज का सूत्र क्या है?
Ans. मूलधन + ब्याज का सूत्र यानि साधारण ब्याज का सूत्र मिश्रधन – मूलधन अर्थात I = A – P है।
Mar 2, 2023
samdwibahu tribhuj ka kshetrafal- समद्विबाहु त्रिभुज
Isosceles Triangle in Hindi समद्विबाहु त्रिभुज की परिभाषा हिन्दी:
यदि किसी स्थति में तीनों भुजाएँ समान हों तो वह समबाहु त्रिभुज कहा जाता है। समबाहु त्रिभुजों में समद्विबाहु त्रिभुज के सभी गुण निहित होते हैं।
समद्विबाहु त्रिभुज के गुणधर्म (Properties of Isosceles Triangle):
• त्रिभुज के दो समान भुजाओं के सम्मुख कोण एक दुसरें से समान होते हैं।
• शेष यानि तीसरी भुजा को आधार कहा जाता है।
• शीर्ष से आधार पर डाला गयी लम्ब रेखा आधार को समद्विभाजित करती है।
• बराबर भुजाओं के सम्मुख कोण बराबर होते हैं।
• एक समद्विबाहु त्रिभुज में तीसरा कोण 90° का होता है।
• आधार का लम्बार्द्धक शीर्ष कोण को दो समान भागो में विभाजित करता है।
• समद्विबाहु त्रिभुज का असमान भुजा (छोटी या बड़ी), त्रिभुज का आधार होती है।
• ऊँचाई (h), आधार से ऊपरी शीर्ष की लंबवत दूरी होती है।
Isosceles triangle formula-समद्विबाहु त्रिभुज का फार्मूला:
1. समद्विबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल:
A = ½ × b × h,
A = ½ × आधार × ऊँचाई
2. क्षेत्रफल A = a / 4 √ (4b² – a²)
3. क्षेत्रफल A = 1/2×side2×sinθ
यहा θ = थीटा, जो त्रिभुज का कोण है।
4. समद्विबाहु त्रिभुज का परिमाप:
P = (2a + b)
यहां a समान लम्बाई वाली भुजाएँ हैं तथा आधार की भुजा b है।
अवश्य पढ़ें Scalene Triangle in hindi
( Isosceles Triangle Imp. Facts):
3. यदि किसी त्रिभुज में कोण नही दिया गया होता तो
A = 1/2×side2×sinθ
फार्मूला प्रयोग कर कोण निकालते हैं।
4. इसमें पाइथागोरस प्रमेय का उपयोग कर सभी प्रश्नों को सरल बनाया जा सकता है
इस प्रकार आपसब ने देखा कि समद्विबाहु त्रिभुज और समबाहु त्रिभुज में क्या समानता है। समद्विबाहु त्रिभुज के फार्मूले क्या हैं। समद्विबाहु त्रिभुज होता क्या है और samdwibahu tribhuj ka kshetrafal क्या होता है आदि। उम्मीद है आपको सरलता से समझ आया होगा। यदि कन्टेन्ट आपको पसन्द आए तो शेयर करें।
धन्यवाद।
Ans. समद्विबाहु त्रिभुज के परिमाप का सूत्र
P = (2a + b) होता है।
इसी का प्रयोग कर समद्विबाहु त्रिभुज का परिमाप निकालते हैं।
Qua. समद्विबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल क्या होता है?
Ans. समद्विबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल,
A = 1/2 b.h होता है।
इस फार्मूले का प्रयोग कर त्रिभुज के संम्पूर्ण भाग का क्षेत्रफल निकाला जाता है।
Feb 27, 2023
Sambahu Tribhuj ka Kshetrafal | समबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल
1. Equilateral Triangle in hindi (समबाहु त्रिभुज) :
'समबाहु' का अर्थ है सभी भुजाएँ बराबर होना, समबाहु त्रिभुज के प्रत्येक कोण समान होते हैं और यह प्रत्येक कोण 60° का होता है।
Properties of equilateral Triangle- समबाहु त्रिभुज के गुण:
• समबाहु त्रिभुज की सभी भुजाएं आपस में समान होती हैं।
• त्रिभुज के सभी आन्तरिक कोण समान होते हैं।
• त्रिभुज के अंदर किसी भी भुजा पर डाला गया लम्ब सम्मुख कोण को समद्विभाजित करता है।
• समबाहु त्रिभुज की प्रत्येक आंतरिक कोण की माप 60° होता है।
• तीनों आंतरिक कोणों का योग 180 डिग्री के बराबर होता है।
• शीर्ष से किसी भी सम्मुख भुजा पर डाला गया लम्ब उस भुजा को समद्विभाजित करता है।
• किसी भी वृत्त की त्रिज्या तीनो कोण से खींची गई रेखाओं के कटान बिंदु पर स्थित होता है जो सभी कोणों से समान दूरी पर होती हैं।
1. समबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल = √3a²/4
a = भुजा
2. समबाहु त्रिभुज का परिमाप = 3a.
a = भुजा
3. समबाहु त्रिभुज का शीर्षलंब = √(3)/2 . a
4. परिवृत की त्रिज्या R = a / √3
5. अर्धवृत की त्रिज्या ( समबाहु त्रिभुज में)
R=a/2√(3)1. समबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल = √3a²/4
a = भुजा
समबाहु त्रिभुज के छेत्रफल का प्रमाण ।
सबसे पहले हमें आधार का लम्ब द्विभाजक खींचेगे जिससे आधार दो बराबर हिस्सों में बट जाएगा। आधार के दोनों हिस्सों का माप a/2 हो जाएगा। लम्ब बनाने से हमारे पास दो त्रिभुज बन जायेंगे।
a²= (a/2)² + h²
a² = a²/4 + h²
a² − a²/4 = h²
4a²/4 − a²/4 = h²
3a²/4 = h²
h = √(3a²/4)
h = (√(3)×a)/2
क्षेत्रफल = (आधार × h)/2
आधार × h = (a × √(3)×a)/2
= (a²× √3)/4
इस प्रकार हमने एक त्रिभुज का द्विभाजक बनाकर यानी त्रिभुज को दो हिस्सों में बाँटा और पाइथागोरस प्रमेय लगाकर समबाहु त्रिभुज के क्षेत्रफल का सूत्र निकाल लिया।
क्लास 6 से उपर सभी वर्गो के विद्यार्थीयों तथा प्रतियोगिता एग्जाम तक के स्टूडेंट्स के लिए समबाहु त्रिभुज के गुणधर्म एवं फार्मूला जानना अति आवश्यक है क्योंकि यह एग्जाम का मुख्य टॉपिक है। समबाहु त्रिभुज ज्यामिति की एक विशिष्ट आकृति है, जिसकी तीनो भुजाएं व तीनो कोण आपस में समान होते हैं इसीलिए इसे समभुज त्रिकोण भी कहा जाता है। यह ही एक ऐसा केवल त्रिभुज है जिसमें समान लम्बाई की भुजा और समान कोण दोनों विद्यमान होते हैं।
धन्यवाद !!
Qua. समबाहु त्रिभुज के परिमाप का सूत्र क्या होता है?
Ans. समबाहु त्रिभुज का परिमाप सूत्र, P = 3 x a
होता है।
Qua. समबाहु त्रिभुज प्रमेय क्या है?
Ans. यदि तीन समबाहु त्रिभुज किसी भी त्रिभुज के पैरों पर खींचे जाते हैं (या तो सभी अंदर या बाहर की ओर) और इन त्रिभुजों के केंद्र जुड़े होते हैं, तो परिणाम एक और समबाहु त्रिभुज होता है। - नेपोलियन के प्रमेय से।
Qua. समबाहु त्रिभुज कितना लंबा होता है?
Ans. यह निश्चित नही है। समबाहु त्रिभुज अपने परिमाप के बराबर भुजा की लंबाई तक होता है। परिमाप कितना भी बड़ा हो सकता है।
Qua. समबाहु त्रिभुज का प्रत्येक कोण क्या होता है?
Ans. समबाहु त्रिभुज के सभी कोण सर्वांगसम होते हैं क्योंकि समबाहु त्रिभुज के सभी कोणों का मान 60° होता है।
Qua. सिद्ध कीजिए कि समबाहु त्रिभुज के प्रत्येक कोण का मान 60 डिग्री होता है?
Ans. हम जानते हैं कि त्रिभुज के तीनों कोणों के योग का मान 180° होता है।
इधर समबाहु त्रिभुज के तीनों कोणों का मान समान होता है।
माना लीजिये समबाहु त्रिभुज का एक कोण x है।
तब परिभाषा के अनुसार
x+x+x = 180°
3x= 180°
x = 60°
अत: समबाहु त्रिभुज के प्रत्येक कोण का मान 60° होता है।
Feb 26, 2023
Types of Triangles- त्रिभुज की परिभाषा और प्रकार
त्रिभुज किसे कहते हैं ?
तीन भुजाओं से बनी एक बन्द आकृति को त्रिभुज कहा जाता हैं। त्रिभुज तीन भुजाओं वाला बहुभुज होता है, जिसमे तीन भुजाएं और तीन कोण होते हैं।Types of Triangles-different types of triangles:
1. समबाहु त्रिभुज (Equilateral Triangle)
2. समद्विबाहु त्रिभुज (Isosceles Triangle)
3. विषमबाहु त्रिभुज (Scalene Triangle))
कोणों के आधार पर त्रिभुज के प्रकार निचे दिए गये है:
1. न्यूनकोण त्रिभुज (Right Angled Triangle)
2. समकोण त्रिभुज (Acute angle Triangle)
3. अधिककोण त्रिभुज (Obtuse angle Triangle
भुजाओं के आधार पर त्रिभुज के प्रकार का डिटेल:
1. Equilateral Triangle in hindi (समबाहु त्रिभुज) :
"वे त्रिभुज जिनकी सभी भुजाएँ (sides) समान होती हैं उन्हें समबाहु त्रिभुज कहते हैं।"'समबाहु' का अर्थ है सभी भुजाएँ बराबर होना, समबाहु त्रिभुज के प्रत्येक कोण समान होते हैं और यह प्रत्येक कोण 60° का होता है।
समबाहु त्रिभुज का परिमाप = 3 × भुजा
2. Isosceles Triangle in hindi (समद्विबाहु त्रिभुज):
"वे त्रिभुज में जिनकी कोई दो भुजाएँ (sides) आपस में बराबर या समान होती हैं उन्हें समद्विबाहु त्रिभुज कहते हैं।"समान भुजाओं के सामने के कोण भी समान होते हैं। 'यानि समान लंबाई की दोनों भुजाओं और तीसरी असमान भुजा के मध्य बने कोण आपस में समान होते हैं।' - समद्विबाहु त्रिभुज प्रमेय से।
समद्विबाहु त्रिभुज परिमाप = 2a + b
समद्विबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल = 1/2 × आधार × ऊँचाई
3. Scalene Triangle in hindi (विषमबाहु त्रिभुज):
"वे त्रिभुज जिनकी तीनों भुजाओं की लंबाई असमान (बराबर नहीं) होती हैं उन्हें विषमबाहु त्रिभुज कहते हैं।"इनके तीनों कोण भी असमान होते हैं।
विषमबाहु त्रिभुज परिमाप = AB + BC + AC
क्षेत्रफल A = 1/2 × आधार × ऊँचाई
A = 1/2a.h
आन्तरिक कोणों की माप के आधार पर त्रिभुज के प्रकार-
1. Right Angled Triangle (समकोण त्रिभुज):
"वह त्रिभुज जिसमें एक कोण 90° का होता है तथा इस कोण के सामने की भुजा सबसे बड़ी होती है समकोण त्रिभुज कहलाता है।"समकोण त्रिभुज को आयताकार त्रिभुज (rectangle triangle)भी कहते हैं।
90° कोण के सामने की भुजा जो त्रिभुज की सबसे लंबी भुजा होती है उसे कर्ण (diagonal) कहते हैं। अन्य दो भुजाओं में जो 90° कोण से उपर जाती है उसे लम्ब (perpendicular) जो 90° कोण से बगल में जाती है उसे आधार (base) कहते हैं।
2. Acute angle Triangle In Hindi (न्यूनकोण त्रिभुज):
"वे त्रिभुज जिनके तीनों आन्तरिक कोण 90° से कम होते हैं उन्हे न्यूनकोण त्रिभुज कहते हैं।"इस प्रकार यह एक ऐसा त्रिभुज होता है जिसके 0° से 90° के मध्य होता है। तीनों आंतरिक कोण व इनके सामने की भुजाएं समानुपाती होती हैं।
अर्थात बड़े कोण के सामने की भुजा बड़ी होगी।
3. Obtuse angle Triangle In Hindi (अधिककोण त्रिभुज):
"वे त्रिभुज जिनमें कोई एक आंतरिक कोण 90° से अधिक होता है, उन्हे अधिककोण त्रिभुज कहते हैं।"इनकी तीनों भुजाएं भी सम्मुख कोणों के समानुपात में होती हैं।
3. विषमबाहु त्रिभुज (Scalene Triangle))
Qua. त्रिभुज किसे कहते हैं?
Ans. तीन भुजाओं से बनी एक बन्द आकृति को त्रिभुज कहते हैं। यह तीन भुजाओं वाला बहुभुज होता है, जिसमे तीन भुजाएं और तीन कोण होते हैं और तीनो भुजाओं के अंत शिरे एक दूसरे से जुड़े होते हैं।
Qua. त्रिभुज के तीनों आन्तरिक कोणों का योग कितना होता है?
Ans. त्रिभुज के तीनों आंतरिक कोणों का योग हमेशा 180° होता है।
Qua. राइट ट्रायंगल को हिंदी में क्या कहते हैं?
Ans. Right-Angled Triangle को हिंदी में समकोण त्रिभुज कहा जाता है। इसे आयताकार त्रिभुज भी कहा जाता है। इसके आंतरिक कोणों में से एक 90° (समकोण) का कोण अवश्य होता है।
Qua. त्रिभुज कितने प्रकार के होते हैं?
Ans. भुजाओं के आधार पर त्रिभुज 3 प्रकार के होते हैं। त्रिभुज का परिमाप हमेशा उसकी तीनों भुजाओं का योग होता है।
Qua. त्रिभुज का क्षेत्रफल ज्ञात करने के लिए सबसे उपयुक्त सूत्र है?
Ans. त्रिभुज का क्षेत्रफल ज्ञात करने के लिए सबसे उपयुक्त सूत्र है:
1/2 × आधार × ऊँचाई
1/2a.h
Feb 23, 2023
Quadratic Equation in hindi
Quadratic Equation (द्विघात समीकरण):
यहाँ पहले चर पद की घात 2 एवं दूसरे चर पद की घात एक होती है।
चर x के समीकरण ax²+bx+c=0 को एक द्विघात का समीकरण कहते हैं। यह समीकरण द्विघात समीकरण का मानक रूप कहलाता है।
यहाँ a ≠ 0 एवं a, b और c अचर राशियाँ है।
ax²+bx+c=0 में सभी पदों का डिटेल निम्न प्रकार है
ax² = द्विघात पद
a = x² का गुणांक
bx = का रैखिक पद
b = x का गुणांक
c = अचर पद
Note- द्विघात समीकरण को त्रिपदीय व्यंजक भी कहते हैं क्योंकि इसमें तीन पद होते हैं।
dwighat samikaran formula (द्विघात समीकरण सूत्र):
यहाँ a ≠ 0 और b, c = 1, 2, 3...n.
Ex.
यदि x ² - 3x - 4 = 0 के मूल (-1, 4) हैं तो इनमें से प्रत्येक समीकरण को संतुष्ट करेगा।
अतः x ² - 3x - 4 = 0 में x = -1 रखने पर
(-1)² - 3(-1) - 4 = 0
1 + 3 - 4 = 0
4 - 4 = 0
अब x ² - 3x - 4 = 0 में x = 4 रखने पर
4² - 3.4 - 4 =0
16 - 12 - 4 = 0
16 - 16 = 0
इस तरह x के दोनों मान रखने पर हम पाते हैं कि दोनो स्थिति में x = 0 है।
अतः उक्त समीकरण के दोनों मूल दिये गए द्विघात समीकरण के हल हैं।
द्विघात समीकरण के मूलो का गुणनफल(α+β) = -b/a
द्विघात समीकरण के मूलो का गुणनफल (α×β) = c/a
यदि कोई द्विघात समीकरण ² + bx +c = 0 हो
तो a और b, x के गुणांक तथा c अचर पद है।
द्विघात समीकरण को हल करने की विधि (Solution of Quadratic Equation):
1. गुणनखंड विधि - Factorisation Method :
2. पूर्ण वर्ग विधि - Completing Square Method:
3.श्रीधर आचार्य विधि Sridhar Acharya Method :
1. गुणनखंड विधि - Factorisation Method :
1. यदि x² का गुणांक नही है तो कोई बात नहीं
यदि है तो उससे अचर पद c मे गुणा कर लेते है।
2. अचर पद c का ऐसा दो खंड करते हैं ताकि दोनों खंडो को आपस में जोड़ने या घटाने पर मध्य पद b, x का गुणांक आए।
3. मध्य पद को ब्रैकेट में लिखें।
4. ब्रैकेट को ओपन करें, चिन्ह बदलने योग्य हो तो बदल दें।
5. मध्य पद से ब्रैकेट ओपन करें अब समी. के चार पद हो जाएंगे।
6. पहले व दूसरे पद का तथा तीसरे और चौथे पद का जोड़ा बनाएं।
7. पहले जोड़े से एक अचर व चर दोनों कामन लें तथा दूसरे जोड़े से एक अचर कामन लें।
8. अब फिर दो पद बनेंगे जिनमे ब्रैकेट भी लगा होगा।
9. दोनों ब्रैकेट के अंदर के पद कामन लें तथा बचे फैक्टर को पुनः ब्रैकेट लगाएं।
10. अब दो ब्रैकेट में दो मान प्राप्त होंगें इनको अलग-अलग क्रमशः दो बार में 0 के बराबर रखकर x के मान प्राप्त करें। x के दो - दो मान मिलेगे। यही मान ही रूट कहलाते हैं।
सावधानियां
1. यदि अचर पद c का मान ऋणात्मक है तो c के खंडो में पहले खंड से दूसरे खंड को घटाने पर मध्य पद b, x का गुणांक प्राप्त होना चाहिए।
2. यदि अचर पद c का मान धनात्मक हो तो c के दोनों खंडों को जोड़ने पर मध्य पद b, x का गुणांक प्राप्त होना चाहिए।
Ex. x² + x – 20 = 0 का मूल निकाले?
हल: x² + x – 20 = 0
x²+ (5x - 4x) - 20
x² + 5x - 4x - 20
x (x + 5) - 4(x + 5) = 0
(x + 5) (x – 4) = 0
जब x + 5 = 0
तब x = -5
जब x - 4 = 0
तब x = 4
इस प्रकार दिए गए द्विघात समीकरण के दो मूल α, β प्राप्त हो गए।
(α, β) = (-5, 4)
उत्तर।
2. पूर्ण वर्ग विधि - Completing Square Method:
इस समीकरण के मूल ज्ञात करने के लिए हम इसे इस प्रकार साल्व करते हैं-
ax² + bx + c = 0
ax² + bx = - c
पूरे Equation में a से भाग देने पर
a/a.x² + b/a.x = - c/a
x² + b/a.x = - c/a
अब, हम LHS को पूर्ण वर्ग के रूप में बनाते हैं।
अतः दोनों पक्षों में (b/2a) add करके वर्ग करने पर
x² + b/a.x + (b/2a)² = - c/a + (b/2a)²
(x + b/2a)² = -c/a + b² /2²a²
(x + b/2a)² = (b² - 4ac)/4a²
x + b/2a = + √(b 2 - 4ac)/2a
x = - b/2a + √(b 2 - 4ac)/2a
इस प्रकार हम समीकरण के रूट्स के मान को निकाल लेते हैं। इस विधि से समीकरण के दो संभावित मूल प्राप्त होते हैं पहला x = [- b + √(b 2 - 4ac)]/2a और
3.श्रीधर आचार्य विधि Sridhar Acharya Method :
यदि ax² + bx + c = 0 के मूल α, β हों तो
(α, β) = – b ± √D / 2a
α = – b + √(b² – 4ac) / 2a
β = – b – √(b²– 4ac) / 2a
यहाँ D = विविक्तकर (Discriminant ) है।
D = b²– 4ac होता है।
मूल दिए होने पर द्विघात समीकरण बनाना:
जब मूल α, β दिए हो तो निम्न सूत्र के द्वारा द्विघात समीकरण बनाया जाता है।x² - (मूलों का योगफल).x + (मूलों का गुणनफल) = 0
मूलों का योगफल (α+β) = -b/a
मूलों का गुणनफल (α×β) = c/a
द्विघात समीकरण के मूलों की प्रकृति (Nature of Quadratic Equation,s Roots):
यदि द्विघात समीकरण ax² + bx + c = 0 हो तो
Determination (विविक्तकर): D = b² - 4ac
यदि
1. D > 0, दो अलग - अलग मूल वास्तविक और विशिष्ट होते हैं।
2. D < 0, कोई मूल नहीं हैं यानि रूट काल्पनिक हैं।
3. D = 0, मूल वास्तविक और समान हैं।
Note-
1. जब D = 0 हो, तो α = β = – b / a होता है।
2. ax² + bx + c = 0 में जब a + b + c = 1 हो, तो इसका एक मूल 1 होता है।
इस प्रकार आप Quadratic Equation के बारे में पूरी तरह जान चुके हैं। उम्मीद है आपलोग को यह कंटेंट पसंद आया होगा। अगर लेख पसंद आए तो शेयर करें।
धन्यवाद।
Read more दो चर वाले रैखिक समीकरण
FAQ.
Qua. द्विघात सूत्र का क्या काम है ?
Ans. द्विघात सूत्र से हम किसी भी द्विघात समीकरण को हल करने में मदद लेते हैं। इससे हम समीकरण को ax²+bx+c=0 के रूप में लाते हैं यहाँ a और b, x के गुणांक हैं।
Qua. द्विघात बहुपद की घात कितनी होती है?
Ans. x की 2 घात वाले बहुपद को द्विघात बहुपद कहते हैं।
Qua. शून्य बहुपद की डिग्री क्या है?
Ans. शून्य बहुपद की घात शून्य होती है।
Qua. द्विघात समीकरण क्या है उदाहरण सहित?
Ans. समीकरण ax² + bx + c = 0 के रूप को द्विघात समीकरण कहा जाता है।
जहाँ a ,b, c ≠ 0
Qua. द्विघात समीकरण के कितने मूल होते हैं?
Ans. द्विघात समीकरण के दो मूल α और β होते हैं।
Linear Equations in Two Variables- दो चर वाले रैखिक समीकरण
एक चर वाले रैखिक समीकरण Liner equation of one variable :
Linear equation in two variables (दो चर वाले रैखिक समीकरण):
Pair of Linear equation in two variables (दो चर वाले रैखिक समीकरण युग्म):
युग्मपत समीकरण के स्टैंडर्ड समीकरण- Standard equation of couple liner :
रैखिक समीकरण के महत्वपूर्ण तथ्य- Importance of Liner equation:
Solution of Linear equation (दो चर वाले रैखिक समीकरणों के हल करने की विधियां):
1. ग्राफिय निरुपण विधी ( Graffics Method):
2. विलोपन विधि ( Elimination Method):
3. प्रतिस्थापन विधि ( Substitution Method)
4. बज्र-गुणन विधि (Cross -Multiplication Method):
5. तुलनात्मक विधि (Comparison Method)
6. पक्षान्तरण वीधि ( Transposition Method):
Feb 16, 2023
Bahupad hindi men
बहुपद की परिभाषा ( Defination of Polynomial):
बहुपद किसे कहते हैं
बीजीय बहुपद (Algebraic Polynomial):
बहुपद के प्रकार (Types of polynomial):
बहुपद की पहचान
बहुपदों का घात:
बहुपदों के शून्ययक (Zeroes of Polynomials):
बहुपद के शून्यको एवं गुणांको में सम्बन्ध (Relations between zeroes and polynomial):
बहुपद से सम्बंधित महत्वपूर्ण बिंदु:
Chemistry Formulas in Hindi || रासायन शास्त्र के महत्वपूर्ण अनुलग्न
जब भिन्न भिन्न तत्त्वों के दो या दो से अधिक परमाणु एक निश्चित अनुपात में संयुक्त होकर जुड़ते हैं तो इस रासायनिक अभिक्रिया से एक अणु प्राप्...
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धनराशि की गणना में ब्याज का योगदान हमेशा से खास रहा है। इसका प्रयोग व्यक्तिगत और ब्यापार की दृष्टिकोण से हमेशा होता रहा है। क्लास और प्रतियो...
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