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Mar 31, 2023

Time and Distance Formula in Hindi | चाल दूरी समय का फार्मूला:

गणित में Speed Timae and Distance यानि ( समय, चाल और दुरी) सबसे महत्वपूर्ण चैप्टर है, यह लगभग हर परीक्षाओं में पूछा जाता है। यह उन विषयों में से एक है जो प्रतियोगिता परीक्षाओ में सफलता दिलाने में मुख्य किरदार निभाते हैं। यह समझने वाली बात है कि परीक्षाओं में पूछे जाने वाले प्रश्नों के प्रकार में भिन्नता हो सकती है इसलिए Time and Distance Formula in Hindi (चाल, समय, दूरी के सूत्र) की अवधारणा, एवं अनुप्रयोग समझना बहुत जरूरी है। अतः दिए समय और दुरी फार्मूला को ध्यान से सीखें और इसका प्रयोग प्रश्न हल करने के लिए करें। समय और दूरी के सूत्र मेें चाल, समय, दूरी, रेलगाड़ी और प्लेटफार्म, समय और कार्य तथा नाव और धारा, परिपथ गति, दौड़, घड़ि, यातायात सम्बंधित प्रश्नों को हल करने में प्रयुक्त होते हैं। चाल, समय, दूरी के सूत्र को यहाँ बहुत आसान तरीके से व्यक्त किया गया है जो सिलेबस के प्रश्नों को हल करने में बहुत हेल्प करता है।
Time and Distance Formula in Hindi

Travel distance | चलित दुरी, समय और चाल का उपयोग:

समय और दूरी के सूत्र का प्रयोग गणित और गतिज विग्यान मेें प्रश्नो को हल करने मेें किया जाता है। इस लेख मेें समय और दूरी के सूत्र के सभी आवश्यक फार्मूलो का अध्ययन आप यहाँ करेंगे ये एग्जाम के लिए आवश्यक है।


चाल, समय, दूरी के सूत्र

1. चाल का फार्मूला:

चाल = दूरी / समय

V = D/t

यहाँ चाल को किलोमीटर प्रति घंटा मेें आकलित किया जाता है।


2. दुरी का फार्मूला:

दुरी = चाल  × समय

D = V×t

इस फार्मूला का प्रयोग कर यह ज्ञात किया जा सकता है कि कोई वस्तु एक निर्धारित चाल और समय में कितना दुरी तय कर सकती है।

दूरी को किलोमीटर मेें मापा जाता है।


3.समय का फार्मूला:

समय = दूरी / चाल

T = D/V

समय ज्ञात करने के लिए इसी फार्मूले का प्रयोग किया जाता है। जैसे-जैसे गति बढ़ती जाती है, समय निरन्तर कम होता जाता है।

समय को सेकंड या घंटे मेें मापा जाता है।

 4. वेग फार्मुला

वेग = विस्थापन / समय

v = D/t

वेग को मीटर/सेकंड मेें मापा जाता है।

औसत चाल | Average Speed: 

किसी पिंड द्वारा तय की गई कुल दुरी और दुरी तय करने में लगा कुल समय के अनुपात को औसत चाल कहा जाता है।

औसत चाल = कुल दुरी / कुल समय


समय, चाल, दूरी के ईकाई को इन्टरचेन्ज करना: 

1. किमी / घंटा से मीटर / सेकंड में बदलने के लिए
5 / 18 से गुणा करें। 

1 किमी / घंटा = 5 / 18 मीटर / सेकंड

2. मीटर/सेकंड से किमी / घंटे में बदलने के लिए,
 18/5 से गुणा करें। 

1 मी/से = 18/5 किमी / घंटा

3. 1 किमी / घंटा = 5 / 8 मील / घंटा


अवश्य पढ़े-



रेलगाड़ी और प्लेटफॉर्म :

कोई रेलगाड़ी किसी लम्बी वस्तु या स्थान को पार करती हैं, तो रेलगाड़ी को अपनी लम्बाई के साथ-साथ उस वस्तु की लम्बाई के बराबर अतिरिक्त दूरी तय कररी पड़ती है, जिसे निम्न फार्मूला का प्रयोग कर प्रश्न हल किया जाता है।

1. रेलगाड़ी की चाल क्रमशः v1 और v2 तथा लम्बाई L1 और L2 हो, तो

विपरीत दिशा में चलने पर एक-दुसरें को पार करने में लगा समय ( L1 + L2 ) / ( v1 + v2 )

एक ही दिशा में चलने पर एक-दुसरें को पार कनरे में लगा समय ( L1 + L2 ) / ( v1 – v2 ) 

यहाँ v1 > v2

2. रेलगाड़ी के द्वारा किसी खम्भा को पार करने में लगा समय = गाड़ी की लम्बाई / गाड़ी की चाल

2. रेलगाड़ी को पुल या प्लेटफार्म को पार करने में लगा समय

= (गाड़ी की लम्बाई + पुल या प्लेटफार्म की लम्बाई) / गाड़ी की चाल।

महत्वपूर्ण गतिक तथ्य:

1. दो वास्तुएँ एक ही दिशा में x km/h तथा y km/h की चाल से चल एक स्थान से चल रही हैं, तो
सापेक्ष चाल = (x – y) km/h

2. दो वास्तुएँ विपरीत दिशा में x km/h तथा y km/h की चाल से एक स्थान से गतिशील हैं तो 
सापेक्षिक चाल = (x + y) km/h

3. कोई वस्तु निश्चित दूरी को x km/h तथा उतिनी ही दूरी को y km/h की चाल से तय करती हैं, तो
औसत चाल = (2 x y) / (x + y) km/h

सामान्यतः समय, दुरी और चाल किसी भी प्रतियोगी परीक्षा के गणित सेक्शन में सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण विषयों में से एक माना जाता है। इनके प्रयोगभी बहुतायतहोते हैं। इसलिए Time and Distance Formula in Hindi की अवधारणा को विभिन्न विषयों से संबंधित प्रश्नों के लिए बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। उम्मीद है यह लेख आपसब को पसंद आया होगा। यदि पसंद आए तो शेयर अवश्य कीजिए। 

धन्यवाद। 

FAQ

Qua समय का सूत्र क्या होता है?
Ans. समय के सूत्र को निम्न प्रकार व्यक्त करते है:
दूरी = चाल x समय 
समय = दूरी/चाल
चाल = दूरी/समय

Qua. चाल क्या है?
Ans. किसी वस्तु द्वारा एक निश्चित समय अंतराल मेें तय की गई दूरी को चाल कहते हैं। 


Qua. विस्थापन क्या है?
Ans. किसी वस्तु द्वारा एक ही दिशा मेें तय की गई सीधी दूरी को विस्थापन कहते हैं। 

Mar 20, 2023

Compound Interest formula in Hindi || चक्र वृद्धि ब्याज फार्मूला

ब्याज से सम्बंधित पाठ्यक्रम क्लास और प्रतियोगिता एग्जाम दोनों में ब्यापार कार्य के प्रश्नों को हल करने के लिए दिया जाता है। बैंक आदि मेें चक्रवृद्धि ब्याज फार्मूला का प्रयोग जादा किया जाता है साधारण ब्याज फार्मूला व्यक्तिगत स्तर पर जादा प्रयोग किया जाता है। चक्रवृद्धि ब्याज गणित में अधिक प्रयोग की जाने वाली चैप्टर मेअं से एक है। क्लास 5th से लेकर प्रतियोगिता एग्जाम की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स तक को यह बहुत इम्पोर्टेट है। चक्रवृद्धि ब्याज फार्मूला की तैयारी व्यक्तिगत जीवन और एग्जाम दोनों में आवश्यक है। SSC , बैंक, रेलवे, आदि परीक्षाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण टॉपिक होता है इसलिए आज बता रहा हूँ कि Compound Interest formula in Hindi मेें किस तरह के और कितने फैक्टर होते हैं।
Compound Interest formula in Hindi


चक्रवृद्धि ब्याज | Compound Interest Formula:

इसे ब्याज पर ब्याज लगाना भी कहते हैं।  होता भी है क्योंकि इनमें  एक निश्चित समय पर संचित किए हुए ब्याज को मूलधन में मिला दिया जाता है तथा इस प्रकार बने पूरे मिश्रधन पर ब्याज की गणना की जाती है।

इस प्रकार  जब एक निश्चित समय अंतराल के बाद ब्याज को  मूलधन में जोड़ कर अगले समय अंतराल मेें इस मिश्रधन पर ब्याज लगाया जाता है, तो उसे चक्रवृद्धि ब्याज कहते हैं।

चक्रवृद्धि ब्याज का सूत्र

ब्याज से सम्बंधित प्रशों को हल करने के लिए निम्न फार्मूले का प्रयोग किया जाता है।

Compound Interest    CI  = A – P

यहाँ-

CI = चक्रवृद्धि ब्याज ( Compound Interest )

A = t समय बाद मिश्रधन (Amount)

P = मूलधन ( Principal)

t = कुल समय (Time)

r = ब्याज की वार्षिक दर ( Rate of Interest)

n = एक वर्ष में कुल ब्याज-चक्रों की संख्या


निर्देश
ऊक्त अंकित फार्मूला का प्रयोग मूलधन, समय, दर, आदि के उपस्थिति में किया जाता है.


चक्रवृद्धि ब्याज के निम्न शर्तें÷

तिमाही: ब्याज तिमाही संयोजित कर मूलधन में जोड़ा जाता है।

छमाही: ब्याज छमाही संयोजित कर मूलधन में जोड़ा जाता है।

वार्षिक: ब्याज वार्षिक संयोजित कर मूलधन में जोड़ा जाता है।


Compound Interest के महत्वपूर्ण फार्मूले÷


1. चक्रवृद्धि ब्याज = (1 + R / 100 ) T – मूलधन

2. चक्रवृद्धि ब्याज = मूलधन (1 + दर / 100)T – 1]

3. चक्रवृद्धि ब्याज = मिश्रधन – मूलधन

4. मूलधन = साधारण ब्याज × 100 / समय × ब्याज की दर

5. मिश्रधन = मूलधन + साधरण ब्याज

6. समय = साधरण ब्याज × 100 / मूलधन × ब्याज की दर

7. ब्याज की दर = साधरण ब्याज × 100 / मूलधन × समय


कुछ महत्वपूर्ण तथ्य-

1.कही से भी ऋण/उधार लिया गया धन मूलधन कहलाता है।

2. किसी व्यक्ति या बैंक से ऋण देने वाला त्रणदाता या साहूकार कहलाता हैं।

3. मूलधन और ब्याज के सम्मिलित रूप को मिश्रधन कहा जाता है.

4.जिस अवधि तक ऋण लिया जाता है, वह समय कहलाता है.

5. किसी धन पर जिस दर से ब्याज लिया जाता है, उसे ब्याज दर कहा जाता है।


आवश्यक सूचना-

1. जब ब्याज छमाही संयोजित होती है,
    तो    r = R / 2 , n = 2T

2. ब्याज जब तिमाही संयोजित होता है,
     तो    r = R / 4 , n = 4T


चक्रवृद्धि ब्याज सूत्र के विभिन्न रूप ÷

चक्रवृद्धि ब्याज = (1 + दर / 100 )^समय – मूलधन

मिश्रधन = मूलधन × (1 दर / 100)^समय

चक्रवृद्धि ब्याज = मिश्रधन – मूलधन

मिश्रधन = मूलधन + ब्याज

चक्रवृद्धि ब्याज = मूलधन [(1 + दर / 100)^समय – 1]

याद करने के उपाय÷

मूलधन P = (I ×  100) / R ×  T
ब्याज CI =P - A 
मिश्रधन A = P × (100 + R)
मिश्रधन A = P + I
समय T = (I × 100) / (P × R)
ब्याज की दर R = (I × 100) / (P × T)

यहाँ:

I = Interest (ब्याज)

P = Principal (मूलधन)

R = Rate of Interest ( ब्याज दर)

CI = चक्रवृद्धि ब्याज ( Compound Interest )

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निश्कर्ष:

गणित मेें साधारण और चक्रवृद्धि ब्याज दोनों परस्पर कार्य करते है। दोनों का अपना विशेष महत्व है। वास्तिविकता यह है कि जब कभी ब्याज को मूलधन में जोड़कर उसका भी ब्याज प्राप्त किया जाता है उसे Compound Interest formula in Hindi से हल किया जाता है। लेन-देन में चक्रवृद्धि ब्याज का सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है। व्यक्तिगत कार्य को पूरा करने भी इसका उपयोग होता है।

उम्मीद है यह लेख आपसब को पसंद आया होगा। यदि पसंद आए तो सेयर अवश्य करें।

धन्यवाद।

FAQ

Qua. कंपाउंडिंग कैसे काम करती है?
Ans. चक्रवृद्धि ब्याज तब होता है जब आपके द्वारा बचत पर अर्जित ब्याज स्वयं पर ब्याज लगाना शुरू कर देता है। 

Qua. चक्रवृद्धि ब्याज का अर्थ क्या है?
Ans. जब समय-समय पर संचित हुए ब्याज को मूलधन में ऐड कर इस मिश्रधन पर ब्याज की गणना की जाती है तो इसे चक्रवृद्धि ब्याज (compound interest) कहते हैं

Qua. कंपाउंडिंग पावर क्या है?
Ans. कंपाउंडिंग की शक्ति आपके धन को तेजी से बढ़ाकर काम करती है। यह कमाए गए लाभ को वापस मूल राशि में जोड़ता है और फिर लाभ अर्जित करने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए पूरी राशि का पुनर्निवेश करता है।


Mar 18, 2023

साधारण ब्याज का सूत्र: Simple Interest Formula in Hindi

धनराशि की गणना में ब्याज का योगदान हमेशा से खास रहा है। इसका प्रयोग व्यक्तिगत और ब्यापार की दृष्टिकोण से हमेशा होता रहा है। क्लास और प्रतियोगिता एग्जाम दोनों में इसप्रकार के प्रश्नों को हल करने के लिए दिया जाता है। बैंक आदि मेें चक्रवृद्धि ब्याज फार्मूला का प्रयोग जादा किया जाता है।साधारण ब्याज फार्मूला व्यक्तिगत स्तर पर जादा प्रयोग किया जाता है। अतः आज आपसब को साधारण ब्याज का फार्मूला Simple Interest Formula और compound Interest formula के बारे मेें डिटेल मेें बताऊंगा। इसके साथ-साथ साधारण ब्याज के सूत्र से सम्बंधित कुछ आवश्यक ट्रिक भी दिए जा रहा है जो एग्जाम में मदतोपयोगी होते हैं।

 
Simple Interest Formula in Hindi


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मूलधन (Principal)  :

1. जब कोई पर्सन/बैेंक या किसी स्रोत से धन या मुद्रा लेता है तो उसके उपयोग के लि लगे समय पर लेने वाला, स्रोत को कुछ अतिरिक्त धन या मुद्रा वापस देता है इसे ही ब्याज कहते हैं। 

2. वह धन, जो कर्ज के रूप में ली जाती है या दी जाती है. वह मूलधन कहलाता है। इसे P से व्यक्त किया जाता है.

मिश्रधन ( Compound money):

ब्याज सहित मूलधन को मिश्रधन कहते है, इसे A से व्यक्त किया जाता है.

समय (Time):

कितने दिन स लिए गये धन को कितने दिन मेें  वापस किया इस बीच की अवधि समय कहलाता है। इसे T या t से व्यक्त किया जाता है।

ब्याज ( Interest ):

मूलधन के अतिरिक्त दिए गये धन को वापस करने मे लगे समय पर जो अतिरिक्त धन दिया जाता है, उसे ब्याज कहा जाता है।
इसे I (आई) से व्यक्त किया जाता है.

ब्याज दर ( Rate of Interest):

जिस दर से अतिरिक्त धन लिया जाता है उसे ब्याज दर कहते हैं। इसे r या R से व्यक्त किया जाता है।

साधारण ब्याज का फार्मूला( Simple Interest Formula):

ब्याज वाले प्रश्न समय सप्ताह, महीनें, तिमाही, छमाही आदि के रूप में पूछे जाते हैं। जिसे सरलता से व्यक्त करने के लिए निम्न रूपों का प्रयोग किया जाता है

आवश्यक तथ्य:

छमाही से वर्ष में बदलने के लिए = 2 से भाग
वर्ष में बदलने के लिए 12 भाग दें
तिमाही से वर्ष में = 4 से भाग
सप्ताह को महीने में = 4 से भाग आदि.

मिश्रधन, मूलधन, समय, मिश्रधन तथा ब्याज की दर निकालने के लिए निम्न सूत्र :
साधारण ब्याज = मिश्रधन – मूलधन
I= A  P
मूलधन = मिश्रधन – साधरण ब्याज
P = A – I
मूलधन = साधारण ब्याज × 100 / समय × ब्याज दर
P = (I ×  100) / R ×  T
समय = साधरण ब्याज × 100 / मूलधन × ब्याज की दर
T = (I × 100) / (P × R)
मिश्रधन = मूलधन + साधरण ब्याज
A = P + I
मिश्रधन = मूलधन × (100 + ब्याज की दर समय)
A = P × (100 + R)

साधारण ब्याज के संकेत और अर्थ-

P = Principal (मूलधन)
I = Interest (ब्याज)
A = Amount ( मिश्रधन)
R = Rate of Interest ( ब्याज दर)
T = Time (समय)

साधारण ब्याज से सम्बंधित महत्वपूर्ण टिप्स-

1. कोई धन T वर्षों में साधारण ब्याज दर से n गुना हो जाता है, तो m गुना होने में लगा समय = (m – 1) / (n – 1) × T

Ex.
कोई धन एक निश्चित साधारण ब्याज की दर से 12 वर्षों में तिगुना हो जाता है, तो कितने वर्षों में वह धन 5 गुना हो जाएगा?

Solve.
समय = (5 – 1) / (3 – 1) × 12 = 4 / 2 × 12 = 24 वर्ष

2. कोई धन R % साधारण ब्याज की दर से T समय में n गुना हो जाता है, तो समय = (n – 1) / R × 100

Ex.
कोई धन 20 % वार्षिक साधारण ब्याज की दर से कितने वर्षो में 5 गुना हो जाएगा?

Solve 
समय = (5 – 1) / 20 × 100 = 20 वर्ष

3. कोई धन T वर्षों में साधारण व्याज की दर से n गुना हो जाता है, तो ब्याज दर (R) = (n – 1) / T × 100

Ex.
कोई धन 10 वर्षों में साधारण ब्याज की दर से तिगुना हो जाता है, तो ब्याज दर क्या है?

Solve 
ब्याज दर = 3 – 1 / 10 × 100 = 2 × 20 = 20 %

इस प्रकार आपसब ने पढ़ा कि किस प्रकार Simple Interest Formula in Hindi की गणना की जाती है और इसके अन्य फीचर्स क्या हैं। उम्मीद है आपको यह लेख पसंद आएगा। पसंद आए तो शेयर अवश्य करें।

धन्यवाद। 

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FAQ

Qua. ब्याज कितने प्रकार के होते हैं?

Ans. ब्याज विभिन्न प्रकार के होते है. ज्यादातर प्रयोग होने वाले ब्याज इस प्रकार है।

Qua. साधारण ब्याज का सूत्र क्या होता है?

Ans. संपूर्ण ऋण अवधि में मूलधन एक ही रहे, तो राशि पर लगने वाला ब्याज साधारण ब्याज होता है. साधारण ब्याज का फार्मूला मिश्रधन – मूलधन यानि I = A  P होता है।

Qua.साधारण ब्याज की परिभाषा क्या है?

Ans. ब्याज जब केवल मूलधन पर एक निश्चित समय के लिए एक ही दर पर लगाया जाता हैं, तो उसे साधारण ब्याज कहते हैं।

Qua. मूलधन + ब्याज का सूत्र क्या है?

Ans. मूलधन + ब्याज का सूत्र यानि साधारण ब्याज का सूत्र मिश्रधन – मूलधन अर्थात I = A  P है।

 




Mar 2, 2023

samdwibahu tribhuj ka kshetrafal- समद्विबाहु त्रिभुज

समद्विबाहु त्रिभुज गणित का ऐसा  त्रिभुज है, जिसकी दो भुजाएं एक दूसरे के बराबर होती हैं। साथ ही, इन भुजाओं के सम्मुख कोण भी बराबर होते हैं। सामान्यतः त्रिभुज एक बहुभुज ही होते हैं, जिसमें तीन भुजाएँ, तीन शीर्ष और तीन कोण होते हैं। कुछ  परिस्थित में त्रिभुज की भुजाएँ और कोण अलग-अलग हो सकते हैं। लेकिन Isosceles Triangle in Hindi में केवल दो भुजा और दो कोण ही बराबर होते हैं। त्रिकोण यानि त्रिभुज के प्रकारों को भुजाओं एवं कोणों के आधार पर व्यक्त किया जाता है। भुजाओं के आधार पर, त्रिभुज को तीन वर्गों में विभक्त किया जाता है, समबाहु, समद्विबाहु एवं विषमबाहु। कोणों के आधार पर भी तीन भाग, न्यूनकोण, समकोण, एवं अधिककोण होते है। समद्विबाहु त्रिभुज का सबसे अधिक यूज 9th एवं 12th class में होता है। इस लेख में आपसब समद्विबाहु त्रिभुज का फार्मूला, परिभाषा, एवं गुण इत्यादि के बारे में पढ़ेंगे।
samdwibahu tribhuj ka kshetrafal

Isosceles Triangle in Hindi समद्विबाहु त्रिभुज की परिभाषा हिन्दी:

वे त्रिभुज जिनकी दो भुजाएं एवं दो कोण आपस में बराबर होते हैं वे समद्विबाहु त्रिभुज कहलाते हैं।"
यदि किसी स्थति में तीनों भुजाएँ समान हों तो वह समबाहु त्रिभुज कहा जाता है। समबाहु त्रिभुजों में समद्विबाहु त्रिभुज के सभी गुण निहित होते हैं।
samdwibahu tribhuj ka kshetrafal

समद्विबाहु त्रिभुज के गुणधर्म (Properties of Isosceles Triangle):

• समद्विबाहु त्रिभुज की दो भुजाएं आपस में बराबर होती हैं।

• त्रिभुज के दो समान भुजाओं के सम्मुख कोण एक दुसरें से समान होते हैं।

• शेष यानि तीसरी भुजा को आधार कहा जाता है।

• शीर्ष से आधार पर डाला गयी लम्ब रेखा आधार को समद्विभाजित करती है।

• बराबर भुजाओं के सम्मुख कोण बराबर होते हैं।

• एक समद्विबाहु त्रिभुज में तीसरा कोण 90° का होता है।

• आधार का लम्बार्द्धक शीर्ष कोण को दो समान भागो में विभाजित करता है।

• समद्विबाहु त्रिभुज का असमान भुजा (छोटी या बड़ी), त्रिभुज का आधार होती है।

• ऊँचाई (h), आधार से ऊपरी शीर्ष की लंबवत दूरी होती है।

Isosceles triangle formula-समद्विबाहु त्रिभुज का फार्मूला:

समद्विभाहु त्रिभुज का फार्मूला निम्न प्रकार होता है।

1. समद्विबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल:
A = ½ × b × h,
A = ½ × आधार × ऊँचाई

2. क्षेत्रफल A = a / 4 √ (4b² – a²)

3. क्षेत्रफल A = 1/2×side2×sinθ
     यहा θ = थीटा, जो त्रिभुज का कोण है।

4. समद्विबाहु त्रिभुज का परिमाप:
    P = (2a + b)


यहां a समान लम्बाई वाली भुजाएँ हैं तथा आधार की भुजा b है।

      अवश्य पढ़ें Scalene Triangle in hindi 

समद्विबाहु त्रिभुज के महत्वपूर्ण तथ्य
( Isosceles Triangle Imp. Facts):

 1. इसमें सूत्र प्रयोग कर आधार, उचाई एवं कोण ज्ञात किया जा सकता है।
2. इसमें भी त्रिभुज के तीनो आन्तरिक कोणों का योग 180° होता है
3. यदि किसी त्रिभुज में कोण नही दिया गया होता तो 
A = 1/2×side2×sinθ 
फार्मूला प्रयोग कर कोण निकालते हैं।
4. इसमें पाइथागोरस प्रमेय का उपयोग कर सभी प्रश्नों को सरल बनाया जा सकता है

इस प्रकार आपसब ने देखा कि समद्विबाहु त्रिभुज और समबाहु त्रिभुज में क्या समानता है। समद्विबाहु त्रिभुज के फार्मूले क्या हैं। समद्विबाहु त्रिभुज होता क्या है और samdwibahu tribhuj ka kshetrafal क्या होता है आदि। उम्मीद है आपको सरलता से समझ आया होगा। यदि कन्टेन्ट आपको पसन्द आए तो शेयर करें।

धन्यवाद।

FAQ

Qua. समद्विबाहु त्रिभुज का परिमाप सूत्र क्या है?
Ans. समद्विबाहु त्रिभुज के परिमाप का सूत्र
         P = (2a + b) होता है।
इसी का प्रयोग कर समद्विबाहु त्रिभुज का परिमाप निकालते हैं।

Qua. समद्विबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल क्या होता है?
Ans. समद्विबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल,
          A = 1/2 b.h होता है।
इस फार्मूले का प्रयोग कर त्रिभुज के संम्पूर्ण भाग का क्षेत्रफल निकाला जाता है।

Feb 27, 2023

Sambahu Tribhuj ka Kshetrafal | समबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल

High School Blog पर आपका स्वागत है। दोस्तों गणित की ज्यामिति में, समबाहु त्रिभुज  तीन समान लंबाई वाली भुजाओं का समूह होता है। Sambahu Tribhuj ka Kshetrafal और Property दुसरे त्रिभुजों से अलग होता है। इसलिए यह प्रतियोगिता और बोर्ड एग्जाम के लिए Imp. बन जाता है। क्योंकि इसकी तीनों भुजाएँ समान समान होते हैं, इसलिए तीनों आन्तरिक कोण भी माप में समान होता हैं। दैनिक जीवन में एवं गणितीय उपयोगिता तथा परीक्षा के दृष्टिकोण से समबाहु त्रिभुज का फार्मूला एवं परिभाषा अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह एग्जाम का बेस माना जाता है. Teachers इन विषयों पर त्रिभुज के सभी गुणधर्म के बारे में बिस्तार से जानकारी प्रदान करते हैं जिससे  विद्यार्थी प्रश्न आसानी से हल कर सके।

Sambahu Tribhuj ka Kshetrafal

1. Equilateral Triangle in hindi (समबाहु त्रिभुज) : 

"वे त्रिभुज जिनकी तीनों भुजाएँ (sides) समान होती हैं उन्हें समबाहु त्रिभुज कहते हैं।"
'समबाहु' का अर्थ है सभी भुजाएँ बराबर होना, समबाहु त्रिभुज के प्रत्येक कोण समान होते हैं और यह प्रत्येक कोण 60° का होता है।
Sambahu Tribhuj ka Kshetrafal

Properties of equilateral Triangle- समबाहु त्रिभुज के गुण:

त्रिभुजों में समबाहु त्रिभुज का गुण सबसे भिन्न और विशेष है। इसकी विशेषता बताने वाले गुण निम्न हैं।

• समबाहु त्रिभुज की सभी भुजाएं आपस में समान होती हैं।

• त्रिभुज के सभी आन्तरिक कोण समान होते हैं।

• त्रिभुज के अंदर किसी भी भुजा पर डाला गया लम्ब सम्मुख कोण को समद्विभाजित करता है।

• समबाहु त्रिभुज की प्रत्येक आंतरिक कोण की माप 60° होता है।

• तीनों आंतरिक कोणों का योग 180 डिग्री के बराबर होता है।

• शीर्ष से किसी भी सम्मुख भुजा पर डाला गया लम्ब उस भुजा को समद्विभाजित करता है।

• किसी भी वृत्त की त्रिज्या तीनो कोण से खींची गई रेखाओं के कटान बिंदु पर स्थित होता है जो सभी कोणों से समान दूरी पर होती हैं। 

समबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल फार्मूला
1. समबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल = √3a²/4
a = भुजा

2. समबाहु त्रिभुज का परिमाप = 3a.
a = भुजा

3. समबाहु त्रिभुज का शीर्षलंब = √(3)/2 . a

4. परिवृत की त्रिज्या R = a / √3

5. अर्धवृत की त्रिज्या ( समबाहु त्रिभुज में)
R=a/2√(3)1. समबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल = √3a²/4
a = भुजा

समबाहु त्रिभुज के छेत्रफल का प्रमाण ।

समबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल पाइथागोरस प्रमेय से निकाल सकते हैं :
सबसे पहले हमें आधार का लम्ब द्विभाजक खींचेगे जिससे आधार दो बराबर हिस्सों में बट जाएगा। आधार के दोनों हिस्सों का माप a/2 हो जाएगा। लम्ब बनाने से हमारे पास दो त्रिभुज बन जायेंगे। 
Sambahu Tribhuj ka Kshetrafal


अब हम इन त्रिभुज में पाइथागोरस प्रमेय लगाकर हल करते हैं।

a²= (a/2)² + h²
a² = a²/4 + h²
a² − a²/4 = h²
4a²/4 − a²/4 = h²
3a²/4 = h²
h = √(3a²/4)
h = (√(3)×a)/2

क्षेत्रफल = (आधार × h)/2
आधार × h = (a × √(3)×a)/2
                  = (a²× √3)/4

इस प्रकार हमने एक त्रिभुज का द्विभाजक बनाकर यानी त्रिभुज को दो हिस्सों में बाँटा और पाइथागोरस प्रमेय लगाकर समबाहु त्रिभुज के क्षेत्रफल का सूत्र निकाल लिया।

Sambahu tribhuj ka Parimap (समबाहु त्रिभुज का परिमाप स्पष्टीकरण):सूत्र स्पष्टीकरण - 
Sambahu Tribhuj ka Kshetrafal


त्रिभुज का परिमाप = a+b+c
समबाहु त्रिभुज की तीनों साईड्स इक्वल होती हैं इसलिए a=b=c
a+b+c = a+a+a
P = 3 x a
यहां a समबाहु त्रिभुज की भुजा है।

समबाहु त्रिभुज से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य

क्लास 6 से उपर सभी वर्गो के विद्यार्थीयों तथा प्रतियोगिता एग्जाम तक के स्टूडेंट्स के लिए समबाहु त्रिभुज के गुणधर्म एवं फार्मूला जानना अति आवश्यक है क्योंकि यह एग्जाम का मुख्य टॉपिक है। समबाहु त्रिभुज ज्यामिति की एक विशिष्ट आकृति है, जिसकी तीनो भुजाएं व तीनो कोण आपस में समान होते हैं इसीलिए इसे समभुज त्रिकोण भी कहा जाता है। यह ही एक ऐसा केवल त्रिभुज है जिसमें समान लम्बाई की भुजा और समान कोण दोनों विद्यमान होते हैं।

उम्मीद करता हूँ कि अब आप समबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल, परिमाप, और परिभाषा आदि को अच्छे से समझ गए होंगे और यह लेख आपको पसंद आया होगा। मित्रगण उपर दिए गए नियम, प्रतियोगिता और बोर्ड एग्जाम की दृष्टिकोण से बहुतमहत्वपूर्णहैं। अतः इन्हें स्मरण करें। लेख पसंद आए तो शेयर करें।
धन्यवाद !!



FAQ:

Qua. समबाहु त्रिभुज के परिमाप का सूत्र क्या होता है?
Ans. समबाहु त्रिभुज का परिमाप सूत्र, P = 3 x a
होता है।

Qua. समबाहु त्रिभुज प्रमेय क्या है?
Ans. यदि तीन समबाहु त्रिभुज किसी भी त्रिभुज के पैरों पर खींचे जाते हैं (या तो सभी अंदर या बाहर की ओर) और इन त्रिभुजों के केंद्र जुड़े होते हैं, तो परिणाम एक और समबाहु त्रिभुज होता है। - नेपोलियन के प्रमेय से।


Qua. समबाहु त्रिभुज कितना लंबा होता है?
Ans. यह निश्चित नही है। समबाहु त्रिभुज अपने परिमाप के बराबर भुजा की लंबाई तक होता है। परिमाप कितना भी बड़ा हो सकता है।



Qua. समबाहु त्रिभुज का प्रत्येक कोण क्या होता है?
Ans. समबाहु त्रिभुज के सभी कोण सर्वांगसम होते हैं क्योंकि समबाहु त्रिभुज के सभी कोणों का मान 60° होता है।



Qua. सिद्ध कीजिए कि समबाहु त्रिभुज के प्रत्येक कोण का मान 60 डिग्री होता है?
Ans. हम जानते हैं कि त्रिभुज के तीनों कोणों के योग का मान 180° होता है। 
इधर समबाहु त्रिभुज के तीनों कोणों का मान समान होता है। 
माना लीजिये समबाहु त्रिभुज का एक कोण x है। 
तब परिभाषा के अनुसार
x+x+x = 180°
3x= 180°
x = 60° 
अत: समबाहु त्रिभुज के प्रत्येक कोण का मान 60° होता है। 


Feb 26, 2023

Types of Triangles- त्रिभुज की परिभाषा और प्रकार

गणित की ज्यामिति में, त्रिभुज सामान्यतः तीन भुजाओं और तीन कोणों की एक बंद टू डायमेंशनल आकृति है। त्रिभुज को त्रि-पक्षीय बहुभुज भी कहा जाता है। भुजाओं की माप के आधार पर त्रिभुज तीन भागों में विभक्त  होता है. जैसे समबाहु, समद्विबाहु, बिसमबाहु क्लास 6 से लेकर 12 तक के तथा प्रतियोगितात्मक दृष्टि से भी त्रिभुज एक महत्वपूर्ण टॉपिक है। अतः इस पोस्ट में Types of Triangles के बारे प्रकाश डाला जा रहा है।

Types of Triangles- त्रिभुज की परिभाषा और प्रकार

त्रिभुज किसे कहते हैं ?

तीन भुजाओं से बनी एक बन्द आकृति को त्रिभुज कहा जाता हैं। त्रिभुज तीन भुजाओं वाला बहुभुज होता है, जिसमे तीन भुजाएं और तीन कोण होते हैं।

Types of Triangles-different types of triangles:

भुजाओं के आधार पर त्रिभुज तीन प्रकार के होते हैं जो नीचे दिये गए हैं:
1. समबाहु त्रिभुज (Equilateral Triangle)
2. समद्विबाहु त्रिभुज (Isosceles Triangle)
3. विषमबाहु त्रिभुज (Scalene Triangle))

कोणों के आधार पर त्रिभुज के प्रकार निचे दिए गये है:

1. न्यूनकोण त्रिभुज (Right Angled Triangle)
2. समकोण त्रिभुज (Acute angle Triangle)
3. अधिककोण त्रिभुज (Obtuse angle Triangle

भुजाओं के आधार पर त्रिभुज के प्रकार का डिटेल:

1. Equilateral Triangle in hindi (समबाहु त्रिभुज) :

"वे त्रिभुज जिनकी सभी भुजाएँ (sides) समान होती हैं उन्हें समबाहु त्रिभुज कहते हैं।"
'समबाहु' का अर्थ है सभी भुजाएँ बराबर होना, समबाहु त्रिभुज के प्रत्येक कोण समान होते हैं और यह प्रत्येक कोण 60° का होता है।
Types of Triangles

समबाहु त्रिभुज का परिमाप = 3 × भुजा

2. Isosceles Triangle in hindi (समद्विबाहु त्रिभुज):

"वे त्रिभुज में जिनकी कोई दो भुजाएँ (sides) आपस में बराबर या समान होती हैं उन्हें समद्विबाहु त्रिभुज कहते हैं।"
समान भुजाओं के सामने के कोण भी समान होते हैं। 'यानि समान लंबाई की दोनों भुजाओं और तीसरी असमान भुजा के मध्य बने कोण आपस में समान होते हैं।'                             - समद्विबाहु त्रिभुज प्रमेय से। 
Types of Triangles

समद्विबाहु त्रिभुज परिमाप = 2a + b

समद्विबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल = 1/2 × आधार × ऊँचाई

3. Scalene Triangle in hindi (विषमबाहु त्रिभुज):

"वे त्रिभुज जिनकी तीनों भुजाओं की लंबाई असमान (बराबर नहीं) होती हैं उन्हें विषमबाहु त्रिभुज कहते हैं।"
इनके तीनों कोण भी असमान होते हैं। 
Types of Triangles

विषमबाहु त्रिभुज परिमाप = AB + BC + AC
क्षेत्रफल A = 1/2 × आधार × ऊँचाई
             A = 1/2a.h



आन्तरिक कोणों की माप के आधार पर त्रिभुज के प्रकार-

1. Right Angled Triangle (समकोण त्रिभुज):

"वह त्रिभुज जिसमें एक कोण 90° का होता है तथा इस कोण के सामने की भुजा सबसे बड़ी होती है समकोण त्रिभुज कहलाता है।"
समकोण त्रिभुज को आयताकार त्रिभुज (rectangle triangle)भी कहते हैं।
90° कोण के सामने की भुजा जो त्रिभुज की सबसे लंबी भुजा होती है उसे कर्ण (diagonal) कहते हैं। अन्य दो भुजाओं में जो 90° कोण से उपर जाती है उसे लम्ब (perpendicular) जो 90° कोण से बगल में जाती है उसे आधार (base) कहते हैं। 
Types of Triangles



2. Acute angle Triangle In Hindi (न्यूनकोण त्रिभुज):

"वे त्रिभुज जिनके तीनों आन्तरिक कोण 90° से कम होते हैं उन्हे न्यूनकोण त्रिभुज कहते हैं।"
इस प्रकार यह एक ऐसा त्रिभुज होता है जिसके 0° से 90° के मध्य होता है। तीनों आंतरिक कोण व इनके सामने की भुजाएं समानुपाती होती हैं।
अर्थात बड़े कोण के सामने की भुजा बड़ी होगी। 
Types of Triangles

3. Obtuse angle Triangle In Hindi (अधिककोण त्रिभुज):

"वे त्रिभुज जिनमें कोई एक आंतरिक कोण 90° से अधिक होता है, उन्हे अधिककोण त्रिभुज कहते हैं।"
इनकी तीनों भुजाएं भी सम्मुख कोणों के समानुपात में होती हैं।
Types of Triangles

निश्कर्ष:  इस प्रकार त्रिभुज के उक्त प्रकार होते हैं। ये आए दिन प्रतियोगितात्मक इक्जाम्स मे भी पूछे जाते रहते है। त्रिभुजो के बारे में Types of Triangles टॉपिक में केवल इनके बारे में ही चर्चा की गई है इनकी कम्प्लीट स्टडी नीचे दिये गये लिंक पर जाकर 
अवश्य पढ़े।
धन्यवाद। 

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     1. समबाहु त्रिभुज (Equilateral Triangle)
     2. समद्विबाहु त्रिभुज (Isosceles Triangle)
     3. विषमबाहु त्रिभुज (Scalene Triangle))

FAQ.

Qua. त्रिभुज किसे कहते हैं?
Ans. तीन भुजाओं से बनी एक बन्द आकृति को त्रिभुज कहते हैं। यह तीन भुजाओं वाला बहुभुज होता है, जिसमे तीन भुजाएं और तीन कोण होते हैं और तीनो भुजाओं के अंत शिरे एक दूसरे से जुड़े होते हैं।

Qua. त्रिभुज के तीनों आन्तरिक कोणों का योग कितना   होता है?
Ans. त्रिभुज के तीनों आंतरिक कोणों का योग हमेशा 180° होता है।

Qua. राइट ट्रायंगल को हिंदी में क्या कहते हैं?
Ans.  Right-Angled Triangle को हिंदी में समकोण त्रिभुज कहा जाता है। इसे आयताकार त्रिभुज भी कहा जाता है। इसके आंतरिक कोणों में से एक 90° (समकोण) का कोण अवश्य होता है।

Qua. त्रिभुज कितने प्रकार के होते हैं?
Ans. भुजाओं के आधार पर त्रिभुज 3 प्रकार के होते हैं। त्रिभुज का परिमाप हमेशा उसकी तीनों भुजाओं का योग होता है।

Qua. त्रिभुज का क्षेत्रफल ज्ञात करने के लिए सबसे उपयुक्त सूत्र है?
Ans. त्रिभुज का क्षेत्रफल ज्ञात करने के लिए सबसे उपयुक्त सूत्र है:
1/2 × आधार × ऊँचाई
1/2a.h

Feb 23, 2023

Quadratic Equation in hindi

द्विघात समीकरण गणित शास्त्र का एक बहुत ही महत्वपूर्ण चैप्टर है। इसकी सहायता से हम एक घातीय, द्विघातीय तथा त्रिघातीय व्यंजकों का solutions निकालते है। इसका प्रयोग दैनिक जीवन में,  छोटे छोटे समीकरण बनाने में खूब किया जाता है इसलिए इस पोस्ट मे मैं आपको Quadratic Equation in hindi के बारे में डिटेल से बताऊंगा। जो आपके काम आएगा। चलिए सुरू करते हैं।

Quadratic Equation in hindi

Quadratic Equation (द्विघात समीकरण):

द्विघात समीकरण भी एक बहुपद ही होता है लेकिन इसमें एक ही चर होता है जो दो बार लिखा जाता है।
यहाँ पहले चर पद की घात 2 एवं दूसरे चर पद की घात एक होती है।
चर x के समीकरण ax²+bx+c=0 को एक द्विघात का समीकरण कहते हैं। यह समीकरण द्विघात समीकरण का मानक रूप कहलाता है।
यहाँ  a ≠ 0 एवं a, b और c अचर राशियाँ है।

ax²+bx+c=0 में सभी पदों का डिटेल निम्न प्रकार है
ax² = द्विघात पद
a = x² का गुणांक
bx = का रैखिक पद
b = x का गुणांक
c = अचर पद
Note- द्विघात समीकरण को त्रिपदीय व्यंजक भी कहते हैं क्योंकि इसमें तीन पद होते हैं। 

dwighat samikaran formula (द्विघात समीकरण सूत्र):

ax² + bx + c = 0 द्विघात समीकरण का मानक सूत्र कहलाता है ।
यहाँ  a ≠ 0   और b, c = 1, 2, 3...n.

द्विघात समीकरण के मूल (Roots of Q.E.):
द्विघात समीकरण के दो मूल होते हैं। इन्हे α (एल्फा) और β (बीटा) कहा जाता है। समीकरण को साल्व करने पर x के दो मान प्राप्त होते हैं यही मान α, β होते हैं।
Ex.
यदि x ² - 3x - 4 = 0 के मूल (-1,  4) हैं तो इनमें से प्रत्येक समीकरण को संतुष्ट करेगा।
अतः x ² - 3x - 4 = 0 में x = -1 रखने पर
(-1)² - 3(-1) - 4 = 0
1 + 3 - 4 = 0
4 - 4 = 0
अब x ² - 3x - 4 = 0 में x = 4 रखने पर
4² - 3.4 - 4 =0
16 - 12 - 4 = 0
16 - 16 = 0

इस तरह x के दोनों मान रखने पर हम पाते हैं कि दोनो स्थिति में x = 0 है।
अतः उक्त समीकरण के दोनों मूल दिये गए द्विघात समीकरण के हल हैं।

द्विघात समीकरण के मूलो का गुणनफल(α+β) = -b/a
द्विघात समीकरण के मूलो का गुणनफल (α×β) = c/a
यदि कोई द्विघात समीकरण ² + bx +c = 0 हो
तो a और b, x के गुणांक तथा c अचर पद है।

द्विघात समीकरण को हल करने की विधि (Solution of Quadratic Equation):

द्विघात समीकरण को तीन विधियों से हल किया जाता है। ये इस प्रकार हैं।

1. गुणनखंड विधि - Factorisation Method :
2. पूर्ण वर्ग विधि - Completing Square Method:
3.श्रीधर आचार्य विधि Sridhar Acharya Method :


1. गुणनखंड विधि - Factorisation Method :

द्विघात समीकरण को साल्व करने की यह सबसे ईजी मेथड है। इसमे हल करने के स्टेप्स निम्न हैं।

1. यदि x² का गुणांक नही है तो कोई बात नहीं
यदि है तो उससे अचर पद c मे गुणा कर लेते है।
2. अचर पद c का ऐसा दो खंड करते हैं ताकि दोनों खंडो को आपस में जोड़ने या घटाने पर मध्य पद b, x का गुणांक आए।
3. मध्य पद को ब्रैकेट में लिखें।
4. ब्रैकेट को ओपन करें,  चिन्ह बदलने योग्य हो तो बदल दें।
5. मध्य पद से ब्रैकेट ओपन करें अब समी. के चार पद हो जाएंगे।
6. पहले व दूसरे पद का तथा तीसरे और चौथे पद का जोड़ा बनाएं।
7. पहले जोड़े से एक अचर व चर दोनों कामन लें तथा दूसरे जोड़े से एक अचर कामन लें।
8. अब फिर दो पद बनेंगे जिनमे ब्रैकेट भी लगा होगा।
9. दोनों ब्रैकेट के अंदर के पद कामन लें तथा बचे फैक्टर को पुनः ब्रैकेट लगाएं।
10. अब दो ब्रैकेट में दो मान प्राप्त होंगें इनको अलग-अलग क्रमशः दो बार में 0 के बराबर रखकर x के मान प्राप्त करें। x के दो - दो मान मिलेगे। यही मान ही रूट कहलाते हैं।

सावधानियां
1. यदि अचर पद c का मान ऋणात्मक है तो c के खंडो में पहले खंड से दूसरे खंड को घटाने पर मध्य पद b, x का गुणांक प्राप्त होना चाहिए।
2. यदि अचर पद c का मान धनात्मक हो तो c के दोनों खंडों को जोड़ने पर मध्य पद b, x का गुणांक प्राप्त होना चाहिए।

Ex. x² + x – 20 = 0 का मूल निकाले?

हल: x² + x – 20 = 0
x²+ (5x - 4x) - 20
x² + 5x - 4x - 20
x (x + 5) - 4(x + 5) = 0
(x + 5) (x – 4) = 0
जब x + 5 = 0
तब x = -5

जब x - 4 = 0
तब x = 4
इस प्रकार दिए गए द्विघात समीकरण के दो मूल α, β प्राप्त हो गए।
(α, β) = (-5, 4)
उत्तर। 

2. पूर्ण वर्ग विधि - Completing Square Method:

द्विघात समीकरण को हल करने की इस विधि में वर्ग फार्म को पूरा करके बीजगणितीय रूप कन्वर्ट करके सरल करते हैं। इस प्रकार समीकरण के आवश्यक रूट प्राप्त करते हैं। अब इसे एक उदाहरण से समझते हैं।  मान लीजिए एक द्विघात समीकरण ax² + bx + c = 0 है जिसमें a ≠ 0 है।
इस समीकरण के मूल ज्ञात करने के लिए हम इसे इस प्रकार साल्व करते हैं-

ax² + bx + c = 0
ax² + bx = - c
पूरे Equation में a से भाग देने पर
a/a.x² + b/a.x = - c/a
x² + b/a.x = - c/a

अब, हम LHS को पूर्ण वर्ग के रूप में बनाते हैं।
अतः दोनों पक्षों में (b/2a) add करके वर्ग करने पर

x² + b/a.x + (b/2a)² = - c/a + (b/2a)²
(x + b/2a)² = -c/a + b² /2²a²
(x + b/2a)² = (b² - 4ac)/4a²
x + b/2a = + √(b 2 - 4ac)/2a
x = - b/2a + √(b 2 - 4ac)/2a

इस प्रकार हम समीकरण के रूट्स के मान को निकाल लेते हैं। इस विधि से समीकरण के दो संभावित मूल प्राप्त होते हैं  पहला x = [- b + √(b 2 - 4ac)]/2a और
x = [-b - √(b 2 - 4ac)]/2a

3.श्रीधर आचार्य विधि Sridhar Acharya Method :

इस विधि से ऐसे द्विघात समीकरण के हल निकाले जाते हैं जिनको गुणनखंड  मेथड से साल्व नही किया जा सकता है। इसके सलुशन में  कम्प्लीटिग स्क्वायर मेथड का भी थोड़ा सा रोल आता है। इसे विविक्तकर विधि भी कहते हैं।
यदि ax² + bx + c = 0 के मूल α, β हों तो

(α, β) =  – b ± √D / 2a
 α = – b + √(b² – 4ac) / 2a 
 β = – b – √(b²– 4ac) / 2a

यहाँ D = विविक्तकर (Discriminant ) है।
D = b²– 4ac  होता है।

मूल दिए होने पर द्विघात समीकरण बनाना:

जब मूल α, β दिए हो तो निम्न सूत्र के द्वारा द्विघात समीकरण बनाया जाता है।

x² - (मूलों का योगफल).x + (मूलों का गुणनफल) = 0

मूलों का योगफल (α+β) = -b/a
मूलों का गुणनफल (α×β) = c/a

द्विघात समीकरण के मूलों की प्रकृति (Nature of Quadratic Equation,s Roots):

द्विघात समीकरण के Roots एल्फा (α) और बीटा (β) द्वारा दर्शायी जाते हैं। द्विघात समीकरण के मूलों की प्रकृति जानने के लिए समीकरण के मूलों को ज्ञात करना पड़ता है। बिना द्विघात समीकरण के मूलों को ज्ञात किए मूलों α, β का Nature नही ज्ञात कर सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले विविक्तकर निकाला जाता है। विविक्तकर मान के आधार पर द्विघात समीकरण के मूलों की प्रकृति का अनुमान लगाया जाता है।
यदि द्विघात समीकरण ax² + bx + c = 0  हो तो
Determination (विविक्तकर): D =  b² - 4ac

यदि 
1. D > 0, दो अलग - अलग मूल वास्तविक और विशिष्ट होते हैं।
      
2. D < 0, कोई मूल नहीं हैं यानि रूट काल्पनिक हैं।
      
3. D = 0, मूल वास्तविक और समान हैं।

Note-
1. जब D = 0 हो, तो α = β = – b / a होता है।
2. ax² + bx + c = 0 में जब a + b + c = 1 हो, तो इसका एक मूल 1 होता है।

इस प्रकार आप Quadratic Equation के बारे में पूरी तरह जान चुके हैं। उम्मीद है आपलोग को यह कंटेंट पसंद आया होगा। अगर लेख पसंद आए तो शेयर करें।
धन्यवाद।


        Read more दो चर वाले रैखिक समीकरण


FAQ.

Qua. द्विघात सूत्र का क्या काम है ?
Ans. द्विघात सूत्र से हम किसी भी द्विघात समीकरण को हल करने में मदद लेते हैं। इससे हम समीकरण को ax²+bx+c=0 के रूप में लाते हैं यहाँ a और b, x के गुणांक हैं।

Qua. द्विघात बहुपद की घात कितनी होती है?
Ans. x की 2 घात  वाले बहुपद को द्विघात बहुपद कहते हैं।

Qua. शून्य बहुपद की डिग्री क्या है?
Ans. शून्य बहुपद की घात शून्य होती है।

Qua. द्विघात समीकरण क्या है उदाहरण सहित?
Ansसमीकरण ax² + bx + c = 0 के रूप को द्विघात समीकरण कहा जाता है।
जहाँ a ,b, c ≠ 0

Qua. द्विघात समीकरण के कितने मूल होते हैं?
Ans. द्विघात समीकरण के दो मूल α और β  होते हैं। 

Linear Equations in Two Variables- दो चर वाले रैखिक समीकरण

नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका High School Blog पर। प्रस्तुत है आपके समक्ष Linear Equations in Two Variables के बारे डीटेल और एकदम क्लीयर जानकारी। दोस्तों मैंने देखा है कि स्टूडेंट्स और टीचर्स भी कहते हैं कि दो चर वाले रैखिक समीकरण की सभी जानकारी एक जगह नहीं मिल रही है इसलिए इस लेख में इस चैप्टर से जुड़े सभी तथ्यों को एक साथ क्रमश: संकलित करने का प्रयास किया गया है। परिक्षा में स्कोरिंग की दृष्टि से भी यह चैप्टर बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए पूरे कंटेंट को सरल व स्पष्ट रूप से व्यक्त किया गया है। इससे पहले कि चैप्टर स्टार्ट हो उससे पूर्व कुछ बेसिक चीज़ों को समझना जरूरी है जो चैप्टर को आसान बनाएंगे।
Linear Equations in Two Variables- दो चर वाले रैखिक समीकरण


चर (Variable): वे राशियां जिनका मान अस्थिर (variable) होता है तथा ये अपने आप में एकक होती हैं। इन्हें स्वेछ अचर भी कहा जाता है।
Ex. a, b, c. x, y, z. p, q, r. etc.

अचर (Constant): वे राशियां जिनका मान स्थिर होता है उन्हें अचर राशि कहा जाता है। गणना इन्हीं राशियों से की जाती है। इन्हें निरपेक्ष अचर भी कहते हैं।
Ex. 1, 2, 3, 4....N
अचर राशि ऋणात्मक और धनात्मक दोनों प्रकार के होते है। इनके विस्तृत वर्णन आप पढ़ चुके हैं।

समीकरण (Equations): चर एवं अचर के संयोजन से बने दो पक्षीय फैक्टर जिनके बीच बराबर (=) का चिन्ह लगा होता है, समीकरण कहलाते हैं।
Ex. 3x+5=y, 5x-3y=0 etc.

समीकरण और बहुपद में अंतर:
समीकरण भी बहुपद ही होते हैं। इनमें विशेष अंतर नहीं होता है, फैक्टर दोनों में बनते हैं लेकिन बहुपद में (=) का चिन्ह नहीं लगा होता है। ये और बात है कि सलुशन के लिए (=) का प्रयोग कर लेते हैं। बहुपद की भाति समीकरण भी एक पदीय, द्विपदी या अनेक पदीय होते हैं।

एक चर वाले रैखिक समीकरण Liner equation of one variable :

जिन समीकरणों में केवल एक चर प्रयोग किया जाता है उन्हें एक चर वाले रैखिक समीकरण कहते हैं।
Ex. 5x=10, 6x=8, 7y=21, 8p=20 etc.
इनका स्टैंडर्ड फार्म ax+b=0 होता है। यहां x चर है तथा a और b अचर 1,2,3...N हैं।

Linear equation in two variables (दो चर वाले रैखिक समीकरण):

 इन समीकरणों में दो चर प्रयोग किये जाते हैं अतः इन्हें दो चर वाले रैखिक समीकरण कहते‌ हैं।
Ex. 3x+2y=5, 7p-5q=21 etc.
इनका का स्टैंडर्ड फार्म ax+by+c=0 होता है। यहाँ a, b, c अचर 1,2,3...N तथा x, y चर हैं और a, b, c का मान जीरो नहीं होता है।

Pair of Linear equation in two variables (दो चर वाले रैखिक समीकरण युग्म):

जब दो रैखिक समीकरण एक‌ साथ आते हैं तो इन्हें दो चर वाले रैखिक समीकरण युग्म कहा जाता है। इनको युग्मपत समीकरण भी कहते हैं।

युग्मपत समीकरण के स्टैंडर्ड समीकरण- Standard equation of couple liner : 

दो रैखिक समीकरणों के लिए व्यापक समीकरण निम्नवथ होते हैं।
a¹x+b¹y+c¹=0.........(1)
a²x+b²y+c²=0........(2)
होता है। यहां a¹ को (ए वन) तथा a² को (ए टू) पढ़ें टाइपिंग में एक के नीचे वन, टू, नही लिख पाया। यहां a, b, c का मान जीरो नहीं होता। तथा चर x, y के मान संबंधित रैखिक समीकरण को संतुष्ट करेंगे।

रैखिक समीकरण के महत्वपूर्ण तथ्य- Importance of Liner equation:


1. रैखिक समीकरणों का ग्राफिक निरूपण एक सरल रेखा होता है।
2. x=0 का ग्राफ y-axis होता है।
3. y=0 का ग्राफ x-axis होता है। 
4. x=c का ग्राफ y-axis के पैरेलल एक सरल रेखा प्राप्त होता है। यहां c अचर है 
5. y=c का ग्राफ x-axis के पैरेलल एक सरल रेखा प्राप्त होता है। यहां c अचर है।

Solution of Linear equation (दो चर वाले रैखिक समीकरणों के हल करने की विधियां):

दो चर वाले रैखिक समीकरणों को हल करने हेतु अनेक विधियां हैं‌ पर कुछ निम्न हैं।
1. ग्राफिय निरुपण विधी (Graffic Method)
2. विलोपन विधि ( Elimination Method)
3. प्रतिस्थापन विधि ( Substitution Method
4. बज्र-गुणन विधि (Cross-Multiplication Method)
5. तुलनात्मक विधि ( Comparison Method)
6. पक्षान्तरण विधि (Transposition Method)

1. ग्राफिय निरुपण विधी ( Graffics Method):

इसमें दो समी दिए होते हैं। इनका ग्राफिक निरूपण सदैव सरल‌ रेखा प्राप्त होता है। इसीलिए तो इन्हें रैखिक समीकरण कहा जाता है।
 इसमें एक समीकरण में से x या y का मान निकाल लिया जाता है फिर अपने मन से उसमें x (1,2,3,....n) कुछ भी मान‌ रखकर y अचर मान‌ निकाल लिया जाता है। ऐसा तीन बार करें जिससे ( x, y ) के रूप में तीन बिंदु प्राप्त होते हैं।
 ऐसा ही दूसरे समी के लिए करें उसमें भी तीन मान निकालें।
 दोनों समी के लिए तीन-तीन बिन्दुओं से अलग- अलग ग्राफ खींचें देखेंगे एक सरल रेखा प्राप्त होता है।

Linear Equations in Two Variables- दो चर वाले रैखिक समीकरण


2. विलोपन विधि ( Elimination Method):

इसमें दो रैखिक समीकरण दिए होते हैं। दोनों में से किसी एक समीकरण के "चर" के गुणांकों को सामान किया जाता है। इन गुणांकों के चिन्ह विपरीत हो, तो जोड़कर या घटाकर उन्हें विलोपित(खत्म) किया जाता है। इतना करने पर एक चर का मान प्राप्त होता है। इस मान को दिए गए समी.में किसी में भी रखकर, दुसरे चर का मान निकाल लिया जाता है। इस प्रकार समीकरण को हल कर लिया जाता है।
Ex. 3x+5y-9=0, 5x+7y+12=0 को हल करें।
हल: दिया है,
   3x+5y-9=0........(1)
   5x+7y+12=0......(2)
यहां देखें कि समी. (1) में x का गुणांक 3 और समी. (2) में x का गुणांक 5 है जो आपस में बराबर नहीं हैं। इन्हें बराबर करने के लिए समी.(1) में 5 और समीं. (2) में 3 से मल्टीप्लाई करने पर
   5.3x+5.5y-5.9=0
   3.5x+3.7y+3.12=0
   
   15x+25y-45=0.......(3)
   15x+21y+36=0.......(4)
अब समी (3) से समी (4) को घटाने पर
  15x+25y-45=0 
  -15x-21y-36=0 (घटाने पर चिन्ह चेंज हो गये)
            4y-81=0
            4y=81। (=) के बाद जाने पर चिन्ह चेंज
            y= 81/4
  y का ये मान समी (1) में रखने पर।
  3x+5y-9=0
  3x+5.81/4-9=0
  3x+405/4-9=0
  3x+(405-39)/9=0
  3x+ 366/9=0
  x=-366/9.3
  x= -122/9

अतः समीकरणों को हल करने पर x=122/9 और y=81/4 उत्तर आया।
   

3. प्रतिस्थापन विधि ( Substitution Method)

दिए गए समीकरण से x का मान y के पद में या y का मान x के पद में निकला जाता है.
समीकरण से निकले एक चर का मान दुसरे समीकरण में रखकर हल किया जाता है, जिससे एक चर का मान ज्ञात हो जाता है.
ज्ञात चर का मान पहले स्टेप से निकले सम्बन्ध में रखकर दुसरे चर का मान निकाला लिया जाता है.
Ex. 3x+5y-9=0, 5x+7y+12=0 को हल करें।
हल: दिए गए समी.
   3x+5y-9=0.......(1)
   5x+7y+12=0......(2)
अब समी 1 से y का मान निकाल कर समी 2 में रखें।
    3x+5y=9
    5y=9/3x
    y=(9/5.3)x   
 यह y का मान समी 2 में रखने पर
   5x+(7.9/5.3)x=-12
   5x+(21/5)x=-12
   x(5+21/5)=-12
   x(25+21)/5=-12
   46x=-12
   x=-12/46
   x=-6/23
अब x का‌ यह मान समी 1 में रखकर y का‌ मान फाइंड करें
   3x+5y-9=0
   3.(-6/23)+5y=9
 -18/23+5y=9
 -y(18+115)/23=9
 -y123=9
 -y=9/123
 - से मल्टीप्लाई करने पर
   y=-9/123
   
इस प्रकार समीकरण से x, y के मान निकाल लिये जाते‌ हैं।       

4. बज्र-गुणन विधि (Cross -Multiplication Method):

इस मेथड में निम्न तरह रैखिक समीकरणों को हल करते हैं। इसमें दो समी दिए होते हैं और उनका स्टैंडर्ड समी से तुलना करा कर a,b,c के पदों में x,y के मान प्राप्त करते हैं।
Linear Equations in Two Variables- दो चर वाले रैखिक समीकरण

Linear Equations in Two Variables- दो चर वाले रैखिक समीकरण

इस प्रकार x ,y को पक्षान्तरण कर 1 के बराबर रख कर क्रास मल्टीप्लिकेशन कर‌ते हैं तो ऐसा फार्म प्राप्त होता है।

5. तुलनात्मक विधि (Comparison Method)

इसमें रैखिक समीकरण के हल करने हेतु दोनों समी को बराबर रखते हैं। अब स्टैंडर्ड समीकरण से तुलना करा कर बज्रगुणन विधी से हल कर‌ते हैं।

6. पक्षान्तरण वीधि ( Transposition Method):

समीकरण के किसी पद को एक तरफ से बराबर के दुसरें तरफ ले जाने की क्रिया को पक्षान्तरण कहते है। जब किसी पद को एक तरफ से दुसरें तरफ लाते हैं तो फैक्टरों के चिन्ह बदल जाते हैं।
Ex. 3x+5y-9=0, 5x+7y+12=0
हल: इसको हल करने के लिए दोनों समी को बराबर के एक तरफ कर लें चिन्ह बदल जाएंगे जो बराबर के LHS में आएगा।
अब हल करते जाएं मान प्राप्त होगा।



निष्कर्ष
क्लास दस के लिए रैखिक समीकरण एक महत्वपूर्ण चैप्टर है जिससे एग्जाम में ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव दोनों प्रकार के प्रश्न पूछे जाते है. खासकर रैखिक समीकरण फार्मूला पर आधारित ऑब्जेक्टिव प्रश्न भी होते है, जो एग्जाम में टॉप करने के लिए कारगर होता है. शिक्षा और शिक्षण शैली को सम्पूर्ण भारत में प्रसार के लिए हम अन्तःमन से कार्यरत है. शिक्षा एवं सरकारी योजना से सम्बंधित सभी आवश्यक जानकारी इस वेबसाइट के माध्यम से प्रदान किया जाता है जो शिक्षा और जागरूकता को बढ़ावा देने में सक्षम है.
धन्यवाद।

FAQ.

Qua.एक चर वाले रैखिक समीकरण किसे कहते हैं?
Ans. वे समीकरण जिनमें समीकरण को बनाने वाले व्यंजकों में केवल एक चर हो तथा समीकरण में उस चर का अधिकतम घातांक 1 हो, एक चर वाला रैखिक समीकरण कहलाता है। एक रैखिक समीकरण में, समता चिन्ह के दोनों पक्षों में रैखिक व्यंजक हो सकते हैं।

Qua. दो चर वाले रैखिक समीकरण कौन सा है?
Ans. वास्तव में, यह किसी भी रैखिक समीकरण के लिए सत्य है, अर्थात् दो चरों वाले रैखिक समीकरण ax + by + c = 0 का प्रत्येक हल (x, y) इस समीकरण को निरूपित करने वाली रेखा के एक बिंदु के संगत होता है और विलोमत : भी ऐसा होता है।

Qua. क्या 4 एक रैखिक व्यंजक है?
Ans. इसमें केवल स्थिर शब्द हैं और कोई चर नहीं है। इसलिए, 4 एक रैखिक व्यंजक नहीं है ।

Qua. रैखिक समीकरण क्या है एक उदाहरण दीजिए?
And. ax + by + c = 0 के रूप में लिखे जाने वाले समीकरण को रैखिक समीकरण कहते है. इसमें a, b और c वास्तविक संख्याएँ होते हैं और a एवं b दोनों शून्य नहीं होते हैं.


Feb 16, 2023

Bahupad hindi men

Hello फ्रेंड्स High School Blog पर‌ आपका स्वागत है। गणित की प्रारंभिक शिक्षा से अवगत होने के‌ बाद अब हम Bahupad के बारे में अध्ययन करेंगे। इस Chapter में हम बहुपद के प्रकारों और संक्रियाओं के बारे में‌ सीखेंगे। इस चैप्टर में आपसब Polynomial के प्रकार आदि के बारे में पढ़ेंगे।

Bahupad hindi men

बहुपद की परिभाषा ( Defination of Polynomial):

चर अचर में चर के गुणांक तथा ऋणेतर घातांक के जोड़, घटना और गुणा की क्रिया वाले बीजगणितीय व्यंजकों को बहुपद कहा जाता हैं।

बहुपद किसे कहते हैं

प्रारंभिक बीजगणित में धन (+) और ऋण (-) चिह्नों से संबंद्ध कई पदों के व्यंजक को बहुपद कहते हैं।
Ex. a + a₁x + a₂x² + a₃x³ +…………… + anxⁿ के रूप में रहने वाले व्यंजक को बहुपद कहते हैं।
यहां a, a₁, a₂, a₃ ……an अचर वास्तविक संख्याएँ है और n पूर्ण संख्या हैं।
Ex. (a) 4x² + 4x + 9 ,  (b) 3x⁵ + 5y³ + x² 

बीजीय बहुपद (Algebraic Polynomial):

चर एवं अचर बहुपद को शामिल करने से जो फैक्टर प्राप्त होते हैं उन्हे बीजीय बहुपद कहा जाता हैं।
Ex. (a)x + 2,      (b)7+a 

बहुपद के प्रकार (Types of polynomial):

बहुपद समुह के आधार पर दो प्रकार के होते हैं।
1. चर बहुपद
2.  अचर बहुपद 

आईए जानते हैं इनके बारे में डिटेल से।
1. अचर बहुपद: बहुपद का ऐसा पद जिसका मान हमेशा स्थिर रहता हैं वह अचर बहुपद कहलाता हैं।
Ex.  (a)4x + 5, (b)2x – 2,
2 और 5 अचर बहुपद है क्योंकि इनका मान सदैव स्थिर रहता हैं।
Note : चर बहुपद वास्तविक या काल्पनिक दोनों संख्या हो सकते हैं।अचर बहुपद का घात शून्य होता हैं। 

2. चर बहुपद: बहुपद के ऐसे पद जिनके मान हमेशा बदलते रहते हैं वह चर बहुपद कहलाते हैं।
Ex. (a) x² + 8x + 4   (b) 5x² + 4x + 9
Note :
चर बहुपद कभी भी काल्पनिक नही होते हैं।
चर बहुपद x, y, z द्वारा सूचित किये जाते हैं।

बहुपद की पहचान 

1. यदि किसी व्यंजक के सभी पदों की घाते एक धनात्मक पूर्णाक होती है, तो वे बहुपद कहलाते हैं।
Ex. (a) 7x² -x +0 एक बहुपद है क्योकि x की घात धनात्मक हैं। 
(b) x² +√2 एक बहुपद हैं। 

2. ऐसे व्यंजक जिनके घाते भिन्न, ऋणात्मक पूर्णाक या अपरिमेय संख्या होते हैं तो वेबहुपद नहीं कहलाते हैं।
Ex. (a) √x +√7 बहुपद नहीं है क्योकि x की घात परिमेय संख्या नही है।
(b) 3+ x⁻² बहुपद नही है क्योंकि यह घात ऋणात्मक हैं।

बहुपदों का घात:

बहुपदों में चर की महत्तम घात को बहुपद की घात कहा जाता है।
Ex. 
(a) 3x² + x + 6में चर की अधिकतम घात 2 हैं।
(b) 7x³ + 2x + 8 में चर की अधिकतम घात 3 हैं। 

व्यंजक की घात के अधार पर बहुपदों को निम्न वर्गों में विभाजित किया गया है जो निम्न प्रकार हैं। 

1. शून्य बहुपद (Zero Polynomials) : p(x) = 0 को शून्य बहुपद कहते हैं। 

2. रैखिक बहुपद (Linear Polynomials) : एक घात वाले बहुपदों को रैखिक बहुपद कहते हैं।
Ex. ax + 5, जहाँ a ≠ 0 आदि 

3. द्विघात बहुपद (Quadratic Polynomials): दो घात वाले बहुपदों को द्विघात बहुपद कहते हैं।
Ex. ax² + bx + 6, जहाँ a ≠ 0 द्विघात बहुपद हैं। 

4. त्रिघाती बहुपद (Cubic Polynomials) : तीन घात वाले बहुपदो को त्रिघात बहुपद कहते हैं।
Ex. ax² + bx² + cx + 9 जहाँ a ≠ 0, एक त्रिघाती बहुपद हैं। 

5. एकपदीय बहुपद (Monomial) : एक पद वाले बहुपदो को एकपदीय बहुपद कहते हैं।
Ex. (a) x,  (b) 3x,   (c) 7y²,  (d) 8a³ 

6. द्विपदीय बहुपद (Binomial) : दो पदों वाले बहुपदो को द्विपदीय बहुपद कहते हैं।
Ex. (a)x + 3,  (b) 2x² + 6,  (c) 2y² − 9 

7. त्रिपदीय बहुपद (Trinomial) : तीन पदों वाले बहुपदो को त्रिपदीय बहुपद कहते हैं।
Ex.(a) x² + 2x + 5,   (b) 2x³ + x² – 5x 

बहुपदों के शून्ययक (Zeroes of Polynomials):

किसी बहुपद के चर के वे सभी मान जो बहुपद को शून्य कर दे वे मान बहुपद कै शून्ययक कहलाते हैं।
Ex. ax + b का शून्ययक -b/a होता हैं। 

बहुपद के शून्यको एवं गुणांको में सम्बन्ध (Relations between zeroes and polynomial): 


1. रैखिक बहुपद :(Liner polynomial):
 p(x) = ax + b जहाँ a ≠ 0  तब p(x) का शून्ययक 1 होता है।  –b/a = – अचर पद / x का गुणांक 

2. द्विघात बहुपद(Quadratic polynomial) :
p(x) = ax² + bx + c, जहाँ a ≠ 0 का शून्ययक 2 होता हैं। उन्हें ग्रीक अक्षर α (एल्फा) और β (बीटा) से व्यक्त किया जाता हैं।
तब शून्यक (α, β) = – b ± √(b² – 4ac) / 2a
शून्यको का योगफल α + β =–b/a=अचर/x का गुणांक
शून्यको का गुणनफल = c/a = अचर/(x का गुणांक)
अतः [ax² + bx + c = (α – x) (β – x)] 

3. त्रिघात बहुपद (tertiary polynomial): 
P(x) = ax³ + bx² + cx + d, a ≠ 0 के तीन शुन्यक होते हैं जिन्हें α ,β, γ  से डिनोट करते हैं।
α + β + γ = -b/a = x² का गुणांक/x³ का गुणांक
αβ + βγ + γα = c/a = x का गुणांक/x³ का गुणांक αβγ = अचर पद/x³ का गुणांक 

शेषफल प्रमेय (Remainder Theorm):
यदि p(x) बहुपद हो, जिसको (x – a) से भाग दिया जाता है, तो शेषफल P(a) होता हैं। यहाँ  घात n>1
Ex. x – a = 0 इसलिए x = a
Note : 1. बहुपद P(x) में (x+a) से भाग देने पर शेषफल P(-a) आता है।
2. बहुपद P(x) में (ax+b) से भाग देने पर शेषफल 
P(-b/a) आता है। 

गुणनखंड प्रमेय (Factor Theorem):
यदि p(x) कोई बहुपद है, जिसकी घात n>1 हो (x–1) से भाग करने पर शेष P(a) = 0 हो तो (x – a), p(a) का एक गुणनखंड होता है। 

परिमेय व्यंजक (rational expression):  p(x) एवं q(x) दो बहुपद हो  एवं q(x) ≠ 0, तो P(x) / q(x) को परिमेय व्यंजक कहते हैं।
यदि बहुपद P(x) को बहुपद G(x) से विभाजित किया जाए और शेषफल R(x) = 0 हो तो बहुपद G(x) बहुपद P(x) का एक गुणनखंड होता है और यदि G(x), P(x) का एक गुणनखंड है, तो शेषफल R(x) शून्य (0) होता है।
यहां  P(x)×Q(x)=G(x)×R(x) 

बहुपद से सम्बंधित महत्वपूर्ण बिंदु:

1. बहुपद के घातो के बढ़ते या घटते क्रम के रूप बहुपद के मानक रूप कहलाते हैं।
2. बहुपदों के योगफल, अंतर और गुणनफल हमेशा एक बहुपद होते हैं।
3.  बहुपद के चर की उच्चतम घात बहुपद की घात कहलाती है।
4. द्विघात बहुपद में शुन्यकों की संख्याए दो α और β होती हैं।
5.दो बहुपदों का भाग सदैव बहुपद नहीं होता है।
6. त्रिघातीय बहुपदो में शुन्यकों की संख्याए तीन α, β, γ होती हैं।
7.यदि P(x) और q(x) बहुपद हैं और q(x) ≠ 0, तो P(x) / q(x) एक परिमेय व्यंजक होता है। 
यह बहुपद तब होगा, जब q(x), P(x) का एक गुणनखंड होगा। 

8. प्रत्येक बहुपद एक परिमेय व्यंजक होते हैं, परन्तु प्रत्येक परिमेय व्यंजक बहुपद नही होते हैं।
9. P(x) / q(x), q(x) ≠ 0 का गुणात्मक व्युत्क्रम q(x) / P(x) होता है यदि P(x) ≠ 0
10. बहुपदों के शून्य के साथ गुणन सदैव शून्य होते हैं।
11. P(x) / q(x) लघुत्तम रूप में तभी होगा, जब P(x) और q(x) का महत्तम समपवर्त्तक 1 हो। 

बहुपद की जोड़, घटाना, गुणा, भाग की क्रियाएं: ये निम्न प्रकार हैं। 

बहुपदों का जोड़ (Addiction of polynomial):
जब दो या दो से अधिक बहुपदो को जोड़ते हैं तो दोनो फैक्टर से केवल समान पद जोड़े जाते हैं। ये समान चर और समान घात वाले पद होते हैं। इन्हे सजातीय पद भी कहते हैं। 
Ex.  बहुपद 4x² + 4x + 8 और 4x² + 2x + 9को जोड़िए ?
Solution. 4x² + 4x + 8 + 4x² + 2x + 9
(4x² + 4x²) + (4x + 2x) + (8+ 9)
8x² + 6x + 17 ans. 

बहुपदों का घटाना(Substraction of polynomial):
बहुपदों का घटाना भी समान व असमान के साथ होता है।
Ex. (9x² - 3x + 7) - (8x² + 5x + 7)
Solution. 
(9x² - 3x + 7) - (8x² + 5x + 7)
9x² - 3x + 7- 8x² - 5x - 7
9x² - 8x² -3x - 5x +7- 7
x² -8x + 0
x² -8x  ans. 

बहुपदों का गुणा (Multiplication of polynomial):
जब दो या दो से अधिक बहुपदों के गुणन किये जाते हैं तो गुणनफल हमेशा उच्च घात वाले बहुपद होते हैं। यदि दोनो बहुपदों में, यदि एक या दोनों बहुपद अचर बहुपद है तो घात वही रहेगी। बहुपदों के गुणा में चरों की घातो को घातांक के नियमों द्वारा जोड़े या घटाए जाते हैं।
Ex. बहुपद 5x ⨯ 7y का गुणा कीजिए ?
Solution. 5x ⨯ 7y
= (5⨯ 7) ⨯ (x ⨯ y)
= 35xy   ans. 

बहुपदों का भाग (Division of polynomial):
बहुपद के विभाजन में, भागफल कम से कम घात वाले बहुपद होते हैं और यदि उनमें से एक अचर बहुपद है तो घात वही रहेगी।
Ex. बहुपद 8x² ÷ 2x से भाग कीजिए ?
Solution. 8x² ÷ 2x = 4x ans. 

इस प्रकार आपने पढ़ा कि बहुपद क्या होते हैं। उम्मीद है आपलोग को अच्छे से समझ आ गया होगा। अगर लेख पसंद आए तो शेयर करें। 


धन्यवाद। 

FAQ

Qua. बहुपद में कितने पद होते हैं?
Ans. एक पद वाले बहुपद को एकपदी (monomial), दो पद वाले बहुपद को द्विपदी (binomial) और तीन पद वाले बहुपद को त्रिपदी (trinomial) बहुपद कहते हैं।  

Qua.बहुपद किसे कहते हैं यह कितने प्रकार के होते हैं?
Ans. बहुपद दो प्रकार के हो सकते हैं। अचर बहुपद वास्तविक या काल्पनिक, दोनों संख्या हो सकते है। अचर बहुपद का मान सदैव स्थिर रहता है। 

Qua.बहुपद कार्य क्या है?
Ans. एक बहुपद एक ऐसा फलन है जिसमें द्विघात समीकरण, घन समीकरण आदि जैसे समीकरण में केवल गैर-ऋणात्मक पूर्णांक घात या एक चर के केवल सकारात्मक पूर्णांक घातांक शामिल होते हैं।

Chemistry Formulas in Hindi || रासायन शास्त्र के महत्वपूर्ण अनुलग्न

जब भिन्न भिन्न  तत्त्वों के दो या दो से अधिक परमाणु  एक निश्चित अनुपात में संयुक्त होकर जुड़ते हैं तो इस रासायनिक अभिक्रिया से एक अणु प्राप्...